Saturday, 15 March 2025

रायपुर। राजधानी में बुधवार देर रात एक प्रेमी युगल ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली। सूचना पर पहुंची पुलिस को दोनों के क्षत विक्षत शव बरामद हुए। पुलिस ने शिनाख्त होने के बाद दोनों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है।
जानकारी के मुताबिक, कचना-खम्हारडीह निवासी धहरिया और सड्‌डू निवासी योगेश साहू के बीच पिछले तीन-चार माह से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवक पेंटर का काम करता था और युवती 10वीं पास थी। दोनों पड़ोसी थे और बीएसयूपी कॉलोनी में पास-पास दुकानें थीं। दोनों ने शादी का फैसला लिया, लेकिन परिवारवालों ने इनकार कर दिया। इसी दौरान युवती के परिवारवालों ने उसकी सगाई किसी दूसरे युवक से करा दी। कुछ दिन पहले ही विरोध के बावजूद शादी तय की गयी थी, जिससे युवती नाराज चल रही थी। इस पर उसने आत्महत्या का फैसला ले लिया।
इसके बाद योगेश बाइक पर सुबह से ही घर से निकल गए। शाम के बाद धहरिया भी घर से गायब हो गई। रात करीब 10 बजे दोनों की लाश कचना फाटक पर रेलवे पटरी पर मिली। उस दौरान बिलासपुर से कोरबा विशाखापटनम लिंक एक्सप्रेस से कटकर दोनों ने जान दे दी।

रायपुर। नई कांग्रेस सरकार का पहला विधानसभा सत्र अपने आप में महत्वपूर्ण होने जा रहा है। सरकार मंत्रियों की संख्या 13 से बढ़ाकर 18 करने अशासकीय संकल्प लाने की तैयारी में है। संकल्प पारित होने के बाद उसे केन्द्र सरकार के पास विचारार्थ भेजा जाएगा। उल्लेखनीय है कि मंत्रियों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में पहले ही लाया जा चुका है। 7 तारीख को विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरु होते ही सर्वप्रथम राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का अभिभाषण होगा। इस सत्र में सरकार अनुपूरक बजट भी पेश करेगी। अनूपूरक बजट करीब 11 हजार करोड़ का हो सकता है। विधानसभा का यह पहला सत्र 11 जनवरी तक चलेगा।

रायपुर । छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य वाले उन अंचलों का विकास होगा, जहां-जहां भगवान राम के पग पड़े थे। राम वनगमन पथ क्षेत्रों के विकास के लिए राज्य सरकार अलग से नीति बनाएगी। इसके लिए गृह व धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू जल्द ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात कर प्रस्ताव मंत्रिमंडल में लाने की कोशिश करेंगे। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए कई ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं, जो तीनों राज्यों में लागू हो सकते हैं।
मध्यप्रदेश सरकार ने आनंद और धर्मस्व विभाग को समाहित कर आध्यात्म विभाग बना दिया है। नया विभाग प्रमुख नदियों के न्यास का गठन, पवित्र नदियों को जीवित इकाई बनाने, राम वनगमन पथ में पड़ने वाले अंचलों का विकास करेगा। छत्तीसगढ़ में आनंद विभाग नहीं है। यहां धर्मस्व विभाग ही है, जो इन धर्म से जुड़े पवित्र स्थलों के संरक्षण पर काम करता है।
धर्मस्व विभाग ही राम वनगमन पथ अंचलों का विकास इस तरह से करेगा, जिससे पर्यटक उन क्षेत्रों में आसानी से पहुंच सकें। पर्यटकों के लिए राह सुगम होगी और उन्हें अंचलों में सुविधाएं मिलेंगी, तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे सरकार की पर्यटन से आय बढ़ेगी।

रायपुर। रायपुर की सड़कों पर एक अलग तरह की टंकी सहेजे दौड़ती मोटरसाइकिल दरअसल सुनहरे भविष्य का संकेत है। यह मोटरसाइकिल पेट्रोल से नहीं, गोबर गैस की ताकत से दौड़ रही है। बेहद सकारात्मक सोच के साथ इसे बनाने वाले नौजवानों का मकसद भी साफ है- पर्यावरण के साथ ही गोवंश का भी संरक्षण। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में अक्षय ऊर्जा विभाग के छह छात्रों ने भविष्य में पेट्रो पदार्थों की किल्लत व बेतहाशा कीमत को ध्यान में रखकर यह अविष्कार किया है।
यह मोटरसाइकिल केवल प्रदर्शन के लिए नहीं है बल्कि सड़कों पर बाकायदा दौड़ भी रही है। ये छह होनहार छात्र हैं अभिषेक खरे, आदर्श यादव, एहतेशाम कुरैशी, प्रवीण चंद्राकर, पंकज चेलक व यश पराड़। खास यह भी कि यह बाइक भरपूर गति से दौड़ाई जा सकती है और 240 किलोमीटर का सफर तय करने में पांच किलो गैस खर्च करती है। गैस किट भी छात्रों ने खुद ही विकसित की है।
छात्रों ने बताया कि फार्मूला बेहद साधारण सा है। सबसे पहले पानी के दो जार लिए। दोनों ही जारों में पांच-पांच किलो गोबर डाला गया। दोनों जारों में पानी की मात्रा भी बराबर रखी गई। इसके बाद दोनों जारों को बंदकर उसमें से एक पतला पाइप निकाल दिया गया, जिसके सहारे गैस निकल सके। उससे निकलने वाली गैस को एक ट्यूब में एकत्र कर लिया गया। जब ट्यूब में दो किलो गैस भर गई तब उसे फैरिक्साइड यानी जंग लगे लोहे के पानी के साथ क्रिया करवाई गई। इससे गैस तैयार तो हो गई, लेकिन शुद्ध नहीं थी, इंजन को नुकसान पहुंचा सकती थी।
इससे बचने के लिए इस गैस के साथ सोडियम हाइड्राक्साइड की क्रिया करवाई गई। अंतत: मनमाफिक परिणाम देने वाली गैस तैयार हो गई। अब इस गैस को बाइक में टंकी की जगह लगे पांच किलो के सिलेंडर में भर दिया गया। गाड़ी दौड़ पड़ी। पुरानी बाइक खरीदकर इसे इस तरह बनाने में कुल खर्च आया 45 हजार रुपये। इन होनहारों का मानना है कि इससे जहां पेट्रो संकट से हम उबर सकेंगे वहीं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बेहद प्रभावी भूमिका भी अदा कर सकेंगे।
इस तरह के वाहन के लिए जगह-जगह हमें गोबर गैस री-फिलिंग प्लांट भी खोलने होंगे जिसके लिए विशाल मात्रा में गोबर की जरूरत भी पड़ेगी। हम ज्यों ही उस दिशा में बढ़ेंगे, गोवंश संरक्षण की दिशा में स्वत: काम होने लगेगा क्योंकि गोबर के लिए तो हमें गोवंश संरक्षण करना ही होगा।
छत्तीसगढ़ विज्ञान प्रौद्योगिकी परिसर में इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया जा रहा है। सीएसआइआर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एस हिरवानी ने भरोसा दिया है कि इस मॉडल को ऑटोमोबाइल इनोवेशन में शामिल किया जाएगा ताकि देशभर की सभी आटोमोबाइल कंपनियों के समक्ष इसे प्रस्तुत किया जा सके। – डॉ. संजय तिवारी, प्रोफेसर एवं साइंटिस्ट, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर।

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