Saturday, 15 March 2025

महंगा पेट्रोल अब नहीं, गोबर गैस से दौड़ेगी गाड़ी

रायपुर। रायपुर की सड़कों पर एक अलग तरह की टंकी सहेजे दौड़ती मोटरसाइकिल दरअसल सुनहरे भविष्य का संकेत है। यह मोटरसाइकिल पेट्रोल से नहीं, गोबर गैस की ताकत से दौड़ रही है। बेहद सकारात्मक सोच के साथ इसे बनाने वाले नौजवानों का मकसद भी साफ है- पर्यावरण के साथ ही गोवंश का भी संरक्षण। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में अक्षय ऊर्जा विभाग के छह छात्रों ने भविष्य में पेट्रो पदार्थों की किल्लत व बेतहाशा कीमत को ध्यान में रखकर यह अविष्कार किया है।
यह मोटरसाइकिल केवल प्रदर्शन के लिए नहीं है बल्कि सड़कों पर बाकायदा दौड़ भी रही है। ये छह होनहार छात्र हैं अभिषेक खरे, आदर्श यादव, एहतेशाम कुरैशी, प्रवीण चंद्राकर, पंकज चेलक व यश पराड़। खास यह भी कि यह बाइक भरपूर गति से दौड़ाई जा सकती है और 240 किलोमीटर का सफर तय करने में पांच किलो गैस खर्च करती है। गैस किट भी छात्रों ने खुद ही विकसित की है।
छात्रों ने बताया कि फार्मूला बेहद साधारण सा है। सबसे पहले पानी के दो जार लिए। दोनों ही जारों में पांच-पांच किलो गोबर डाला गया। दोनों जारों में पानी की मात्रा भी बराबर रखी गई। इसके बाद दोनों जारों को बंदकर उसमें से एक पतला पाइप निकाल दिया गया, जिसके सहारे गैस निकल सके। उससे निकलने वाली गैस को एक ट्यूब में एकत्र कर लिया गया। जब ट्यूब में दो किलो गैस भर गई तब उसे फैरिक्साइड यानी जंग लगे लोहे के पानी के साथ क्रिया करवाई गई। इससे गैस तैयार तो हो गई, लेकिन शुद्ध नहीं थी, इंजन को नुकसान पहुंचा सकती थी।
इससे बचने के लिए इस गैस के साथ सोडियम हाइड्राक्साइड की क्रिया करवाई गई। अंतत: मनमाफिक परिणाम देने वाली गैस तैयार हो गई। अब इस गैस को बाइक में टंकी की जगह लगे पांच किलो के सिलेंडर में भर दिया गया। गाड़ी दौड़ पड़ी। पुरानी बाइक खरीदकर इसे इस तरह बनाने में कुल खर्च आया 45 हजार रुपये। इन होनहारों का मानना है कि इससे जहां पेट्रो संकट से हम उबर सकेंगे वहीं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बेहद प्रभावी भूमिका भी अदा कर सकेंगे।
इस तरह के वाहन के लिए जगह-जगह हमें गोबर गैस री-फिलिंग प्लांट भी खोलने होंगे जिसके लिए विशाल मात्रा में गोबर की जरूरत भी पड़ेगी। हम ज्यों ही उस दिशा में बढ़ेंगे, गोवंश संरक्षण की दिशा में स्वत: काम होने लगेगा क्योंकि गोबर के लिए तो हमें गोवंश संरक्षण करना ही होगा।
छत्तीसगढ़ विज्ञान प्रौद्योगिकी परिसर में इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया जा रहा है। सीएसआइआर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एस हिरवानी ने भरोसा दिया है कि इस मॉडल को ऑटोमोबाइल इनोवेशन में शामिल किया जाएगा ताकि देशभर की सभी आटोमोबाइल कंपनियों के समक्ष इसे प्रस्तुत किया जा सके। – डॉ. संजय तिवारी, प्रोफेसर एवं साइंटिस्ट, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर।

  • RO No 13073/127 " A
  • R.O.NO.13073/127 "
  • R.O.NO.13129/146 " C
  • R.O.NO.13073/127 " D
  • RO No 13073/127 "

Address Info.

Owner / Director - Piyush Sharma

Office - Shyam Nagar, Raipur, Chhattisgarh,

E mail - publicuwatch24@gmail.com

Contact No. : 7223911372

MP info RSS Feed