Saturday, 15 March 2025

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेतृत्व वाली भूपेश सरकार के पहले सालाना बजट का खाका तैयार हो गयाह ै। यह पहला बजट कांग्रेस के जन घोषणापत्र पर केंद्रित होने की संभावना है।
वित्त विभाग ने बजट की तैयारियों के लिए कुछ दिन पहले मंत्री स्तरीय चर्चा शुरू की थी, इसका समापन गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विभागों के बजट प्रस्तावों पर चर्चा के साथ हुआ। अब प्रस्तावित बजट राज्य मंत्रि परिषद की बैठक में रखा जाएगा। यह बैठक 28 या 29 जनवरी को संभावित है। बजट प्रस्तावों को मंजूरी के बाद मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री के रूप में ​विधानसभा में अपना पहला बजट पेश करेंगे।
बताया गया है कि मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपने विभागों से संबंधित बजट प्रस्ताव तथ नवीन मद के प्रस्ताव पेश किए। इस संबंध में वित्त विभाग के अधिकारियों से चर्चा के बाद प्रस्तावों कों अंतिम रूप दिया गया है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार वित्त विभाग ने 21 जनवरी से 24 तक मंत्री स्तरीय बजट चर्चा रखी थी। सरकार के सभी मंत्रियों ने अपने अपने विभागों से संबंधित प्रस्ताव रखे। मंत्रियों ने अपने क्षेत्र तथा विभाग की मांग तथा समस्या के आधार पर प्रस्ताव पेश किए। इस प्रक्रिया के बीच मुख्यमंत्री की मंत्रियों से बजट प्रस्तावों को लेकर मंत्रणा भी हुई है।   
जन घोषणापत्र पर रहेगा फोकस
कांग्रेस सरकार का पहला सालाना बजट जन घोषणापत्र पर आधारित होगा। बजट निर्माण की प्रक्रिया से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि अधिकतर बड़े प्रस्ताव घोषणापत्र के वादों को पूरा करने वाले हैं। घोषणापत्र में शामिल मुद्दों को पूरा करने के हिसाब से ही नवीन मद की योजना के प्रस्ताव तैयार किए हैं। इन प्रस्तावों को ही सरकार ने प्राथमिकता के साथ मंजूरी दी है।
बताया गया है कि कई वादों को पूरी करने के लिए एकमुश्त राशि जारी करना कठिन होने पर विचार करने के बाद जितना संभव हो सका, उतने प्रावधान किए गए हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि जन घोषणापत्र का ​क्रियान्वयन अगले पांच साल में किया जाना है, इसलिए योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर चुना गया है।
नए मंत्रियों ने दिलचस्पी दिखाई
वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार सरकार में शामिल नए मंत्रियों ने बजट की प्रक्रिया में गंभीरता से हिस्सा लिया। अपने अपने क्षेत्र की समस्याएं, मांग तथा सुधार के हिासब से सुझााव दिए गए। बजट की चर्चा में शामिल होने से पहले मंत्रियों ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर बहुत सी चीजों को देखा तथा समझा है। इसके विपरीत सरकार में मंत्री रहे हैं, ने बेहद सधे हुए अंदाज में अपने ​विमानों की मांगे रखी तथा बजट में नवीन प्रावधान शामिल कराए है।

रायपुर। बस्तर में नक्सल संगठन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अभी अंदर से जो रिपोर्ट आ रही है उससे सुरक्षा बलों की बांछे खिल गई हैं। दरअसल नक्सल संगठन में दरार की सूचना मिल रही है। इस दरार की वजह है नक्सल कमांडर हिड़मा का प्रमोशन। हिड़मा बस्तर का स्थानीय आदिवासी है जबकि नक्सल संगठन में बड़े पदों पर हमेशा आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के नक्सली काबिज होते रहे।
बस्तर के आदिवासी नक्सली फोर्स में सिर्फ लड़ाई के लिए ही रखे जाते थे। 2010 में नक्सलियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और स्थानीय नेतृत्व को मौका देना शुरू किया। हिड़मा का यहीं से उदय हुआ। वह ऐसा कमांडर है जिसकी कोई तस्वीर फोर्स के पास नहीं है।
हिड़मा सुकमा-बीजापुर इलाके में सक्रिय नक्सलियों की पहली बटालियन का कमांडर है। वह साउथ सब जोनल कमेटी का भी हेड है। अब उसे केंद्रीय पालित ब्यूरो में लिए जाने की सूचना है। यही नक्सलियों के बीच दरार की वजह बताई जा रही है।
खुफिया सूत्रों की मानें तो हिड़मा के प्रमोशन से आंध्र के नक्सल कमांडरों में असंतोष है। उन्हें लगता है कि हिड़मा को वामपंथी क्रांति और राजनीति के बारे में उतनी जानकारी नहीं है कि उसे बुद्धिजीवी माना जाए। वह लड़ाका भले ही बड़ा है। इस मुद्दे पर लगातार असंतोष से नक्सलियों के बीच आपसी संघर्ष शुरू हो सकता है। पुलिस इस पर नजर बनाए हुए है।
गांजा की खेती में जुटे स्थानीय नक्सली
खुफिया रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि जगरगुंडा इलाके में नक्सली गांजे की खेती कर रहे हैं। बड़े नक्सली नेताओं और छोटे कैडर के बीच तालमेल का अभाव है। छोटे नक्सली अपने नेताओं की बात नहीं मान रहे हैं और मनमानी उगाही की जा रही है।
पैसे के वितरण को लेकर भी आपस में मतभेद की खबरें हैं। इन स्थितियों में यह आसार बन गए हैं कि नक्सली गुटों में बदलकर आपस में लड़ाई शुरू कर सकते हैं। पुलिस इन सूचनाओं के आधार पर नजर बनाए हुए है। अगर नक्सल संगठन में दरार आई तो इसका सीधा फायदा फोर्स को मिलेगा।
बस्तर में अब तक संगठित रहा है नक्सलवाद
बस्तर में नक्सली क्रांति करने नहीं आए थे। नक्सलबाड़ी और तेलंगाना के वारंगल इलाके में जब फोर्स का दबाव बढ़ा तब नक्सली बस्तर के जंगलों में छिपने आए थे। यहां उन्होंने स्थाई ठिकाना बनाया और बड़ी फोर्स खड़ी की। बस्तर में नक्सली बेहद अनुशासित और संगठित रहे हैं।
पदानुक्रम के मुताबिक आदेश का पालन करने की परंपरा रही है। यही वजह है कि यहां चालीस साल से हरसंभव प्रयास करने के बाद भी नक्सलवाद खत्म नहीं किया जा सका है। अब जबकि नक्सलियों में फूट की खबरें हैं तो इसका फायदा फोर्स को मिल सकता है।

रायपुर। चेक बाउंस के दो मामले में 11 साल तक चली सुनवाई के बाद आखिरकार कोर्ट ने पीड़ित को राहत दी है। बलौदाबाजार निवासी आरोपित राइस मिलर रमेश केडिया को कोर्ट ने छह-छह महीने की सजा तथा 2.70, 2.70 लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया है।
न्यायालीयन सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2007 में राजा तालाब निवासी बृजमोहन सिंह चावला, रणवीर सिंह चावला से संबंधों के आधार पर सेठ बंशीधर केडिया राइस प्रोसेसिंग प्लांट के संचालक रमेश केडिया ने ढाई-ढाई लाख रुपये उधार लिया था। 8 दिसम्बर 2007 को उधार की रकम चुकाने रमेश ने दो चेक दोनों को थमाए थे, जो बैंक में जमा करने पर खाते में पर्याप्त रकम न होने पर बाउंस हो गए। बृजमोहन व रणवीर ने अपने अधिवक्ता राजेश भावनानी के माध्यम से लीगल नोटिस भेजा, लेकिन रमेश ने पैसे का भुगतान नहीं किया तब परेशान होकर पीड़ितों ने वर्ष 2008 में कोर्ट में परिवाद पत्र दाखिल किया। इस दौरान रमेश ने कई आपत्तियां लगाई, जिससे प्रकरण सत्र न्यायालय तक गया और पुनः वापस न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीमती संजूलता देवांगन के समक्ष आया। कोर्ट में दोनों पक्षों के साथ बैंक मैनेजरों का बयान दर्ज करने के बाद जज संजूलता देवांगन ने विभिन्ना न्याय दृष्टांतों का हवाला देते हुए यह फैसला सुनाया कि आरोपी रमेश केडिया को उधार की रकम चेक से प्राप्त हुई थी और उसके द्वारा जो चेक जारी किया गया वह बैंक में बाउंस हुआ है। पीड़तों द्वारा पेश किए गए साक्ष्‌य से संपूर्ण प्रकरण प्रमाणित होता है। अंतः धारा 138 का दोष रमेश केडिया पर सिद्ध होता है। लिहाजा छह-छह माह की सजा के साथ ही आरोपी को 2.70 लाख, 2.70 लाख रुपये से दंड़ित किया जाता है। जुर्माने की रकम का भुगतान न करने पर आरोपी को दो माह अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।

रायपुर । बीजेपी सांसद रमेश बैस का एक बड़ा सामने आया है । सांसद बैस ने आज कहा कि वे लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं । अगर टिकट नहीं मिली तो वे एक कार्यकर्ता की तरह की काम करेंगे । अब तक सियासी गलियारों में सांसद रमेश बैस को लेकर ख़बरें थीं कि वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे । आज इस बात का भी पटाक्षेप हो गया है ।
सांसद रमेश बैस ने लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है । उन्होंने कहा है कि पार्टी ने अब तक जो भी आदेश दिया है वे उनका पालन करते आये हैं । मगर उन्होंने साफ कह दिया है कि वे टिकट नहीं मांगेंगे । पार्टी टिकट देगी तो वे चुनाव जरूर लड़ेंगे । टिकट नहीं मिलने पर भी उन्हें कोई असंतोष नहीं होगा । वे आगे एक पार्टी कार्यकर्ता की तरह कार्य करते रहेंगे ।

  • RO No 13073/127 " A
  • R.O.NO.13073/127 "
  • R.O.NO.13129/146 " C
  • R.O.NO.13073/127 " D
  • RO No 13073/127 "

Address Info.

Owner / Director - Piyush Sharma

Office - Shyam Nagar, Raipur, Chhattisgarh,

E mail - publicuwatch24@gmail.com

Contact No. : 7223911372

MP info RSS Feed