Tuesday, 21 October 2025

राजिम ।   फिंगेश्वर ब्लाक के अन्नदाता नहर से पानी नहीं छोड़े जाने से परेशान हैं. शिकायतों के बाद भी निराकरण नहीं होने पर ग्राम छुइहा के आक्रोशित किसानों ने आज पानी की मांग को लेकर जल संसाधन कार्यालय का घेराव कर दिया. किसानों ने चेतावनी देते हुए बताया कि विभाग द्वारा पहले सिंचाई के लिए पानी दिया. जिससे 25 सौ हेक्टेयर में धान की फसल लगाई गई है. लेकिन धान की जब बाली आने वाली है. तब सिंचाई विभाग ने पानी देना बंद कर दिया है, जिससे फसल पूरी तरह से धूप में झुलस रही है  ।
किसानों ने लगातार मांग करने पर भी पानी जरूरत के हिसाब से पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. इसी वजह से परेशान किसानों ने जल संसाधन कार्यालय का घेराव कर ज्ञापन सौंपा. किसानों ने कहा कि फिंगेश्वर जल संसाधन के अधिकारी मौके पर पहुंचकर मॉनिटरिंग जरुर किया, लेकिन किसानों की मांग को गंभीरता से नहीं लिया. जिसके चलते पानी की कमी से खेतों में अब दरारें आने लगी हैं. हमारी मांगे जल्द से जल्द पूरी की जाए ।
 धान की फसल चौपट की कगार पर
आपको बता दें कि छुइहा गांव जो कि टेल एरिया में हैं. इस वजह से यहां के किसानों को अपनी फसल को बचाने के लिए हर बार पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है. वहीं पीड़ित किसानों ने बताया कि अभी रवि का फसल लगाये हुए हैं, जिसमें विगत 17 दिनों से पानी के अभाव में लगभग 200 एकड़ धान की फसल चौपट होने की कगार पर आ गई है ।
जल्द व्यवस्था की जाएगी-कलेक्टर

इस मामले में कलेक्टर ने कहा कि सिंचाई विभाग के अधिकारी से बात करके तुरंत मामले की जानकरी लेता हूं. अभी तो सिकासार से लगातार पानी दिया जा रहा है. किसानों को पानी की कोई दिक्कत ना हो इसकी व्यवस्था जल्द की जाएगी ।

दंतेवाड़ा । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद राज्य में सक्रिय नक्सली संगठनों व सरकार के बीच शांति वार्ता की अटकलों के बीच नक्सलियों ने एक बार फिर अपना खूनी चेहरा दिखाया है। दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर नक्सलियों ने हमला कर उनकी जान ले ली।
यही नहीं, उनकी सुरक्षा में तैनात चार अन्य पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतार दिया है। इस घटनाक्रम के बाद एक बार फिर नक्सलियों का क्रूर चेहरा सामने आ गया है। माना जा रहा है कि नक्सली अभी भी बातचीत के जरिए शांति के रास्ते पर आने के बजाय हिंसा पर उतारू हैं।
राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ये चर्चा अटकलों के साथ सामने आ रही थी कि राज्य सरकार व नक्सलियों के बीच शांति के लिए वार्ता होने की संभावना है। दरअसल इन चर्चाओं का आधार बस्तर से आई मीडिया रिपोर्ट की वजह से बनी थी।
बस्तर से ऐसी खबरें आई थीं कि नक्सलियों ने कुछ स्थानों पर पोस्टर लगाकर ये संदेश देने की कोशिश की कि वे सरकार के साथ बाचतीत को तैयार हैं। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा था कि ये बात उनके समक्ष मीडिया रिपोर्ट के माध्यम से आई है। नक्सलियों ने सरकार से बातचीत के लिए कोई पेशकश नहीं की है।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने फिर ये बयान दिया कि नक्सली अगर संविधान में विश्वास जताएं व हथियार छोड़कर आएं, तो उनके साथ बातचीत की जा सकती है। मुख्यमंत्री के इन दोनों बयानों के बाद नक्सलियों की ओर से न कोई बयान जारी किया गया, न किसी माध्यम से कोई संदेश दिया गया।
लिहाजा नक्सलियों से वार्ता की पहल केवल अटकल साबित हुई। नक्सली अगर शांति के रास्ते पर जाने की सोच रखते, तो एक चुने हुए जनप्रतिनिधि पर इस तरह का कायराना हमला नहीं करते।
पुलिस का खुफिया तंत्र फिर फेल
छत्तीसगढ़ में जब कभी नक्सली हमले की कोई बड़ी वारदात होती है, सबसे पहले यही सवाल सामने आता है कि पुलिस या उससे संबंधित खुफिया विभाग को नक्सलियों के आने-जाने या किसी प्रकार की गतिविधि की कोई जानकारी क्यों नहीं मिली। मंगलवार को हुई घटना के बाद भी यही सवाल सामने आ रहा है।
इससे पहले झीरम घाटी कांड से लेकर कई अन्य बड़े हमलों के दौरान भी ये बात सामने आई है कि नक्सलियों के बड़ी संख्या में जमा होने के बाद भी खुफिया तंत्र को इसकी जानकारी क्यों नहीं मिल पाती। कई अवसरों पर पुलिस व सरकार के उच्चाधिकारियों ने खुफिया तंत्र फेल होने की बात स्वीकार करते हुए इसमें सुधार करने की बात कही है, लेकिन क्या सुधार किया गया, यह पता नहीं लगता।
दूसरी ओर जानकार ये भी मानते हैं कि बस्तर दंतेवाड़ा के दूरदराज के इलाकों में पुलिस से लिए सूचनाएं एकत्र करना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। दूसरी ओर नक्सलियों का अपना सूचना तंत्र है, जिसके माध्यम से वे पुलिस व सुरक्षा बलों की आवाजाही पर पूरी नजर रखे होते हैं। मौका मिलते ही हमला करते हैं।
झीरम घाटी कांड की याद हुई ताजा
बस्तर में एक और जनप्रतिनिधि की नक्सल हमले में मौत के साथ ही करीब 6 साल पहले हुए झीरम घाटी कांड की याद एक बार फिर ताजा हो गई। 2013 में राज्य विधानसभा चुनाव के कुछ महीना पहले तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के नेतृत्व में कांग्रेस की परिवर्तन रैली निकाली गई थी ।
इस रैली पर नक्सलियों ने भीषण हमला किया था। नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल सहित कई नेताओं तथा सुरक्षा कर्मियों सहित कई लोगों की मौत हो गई थी ।

दंतेवाड़ा । विधायक भीमा मंडावी का पार्थिव शरीर जिला भाजपा कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। जहां केदार कश्यप, प्रत्याशी बेदूराम कश्यप सहित कई वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ताओं ने उपस्थित होकर अपनी श्रद्धांजलि दी।
इसके बाद विधायक मंडावी के पार्थिव शरीर को पुलिस लाइन लाया गया। जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, डीएम अवस्थी ने श्रद्धांजलि दी। वहीं उनके अंतिम दर्शन देने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा

दंतेवाड़ा । नक्सली हमले में शहीद बीजेपी विधायक भीमा मंडावी का अंतिम संस्कार आज किया जाएगा. भीमा मंडावी का पार्थिव शव भाजपा कार्यालय लाया गया है, जहां पर प्रदेश भर के भाजपाई अंतिम दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
दंतेवाड़ा भाजपा कार्यालय में सबुह से ही भीड़ जुटने लगी है. अंतिम दर्शन को लोगों का उमड़ा हुजूम पड़ा है. पूर्व मंत्री केदार कश्यप भी पहुंच चुके हैं।
बतादें की दिवंगत मंडावी के अंतिम संस्कार में पूर्व सीएम रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी, प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, सौदान सिंह, अनिल जैन समेत बीजेपी के तमाम बड़े नेता मौजूद रहेंगे. इसके अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल रहेंगे।

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