अरविंद दुबे। प्रथम पूज्य गणेशजी के दुनिया में कई मंदिर हैं। दोनों पत्नियों, रिद्धि और सिद्धी के साथ वाली भी उनकी कई प्रतिमाएं हैं, लेकिन गुजरात में एक मंदिर ऐसा है, जहां उनका पूरा परिवार है। पूरा परिवार यानि दोनों पत्नियां- रिद्धि-सिद्धी, पुत्री- मां संतोषी, दोनों पुत्र - शुभ और लाभ, दोनों पोते - क्षेम और कुशल। जानिए इनके बारे में -
गुजरात के बनासकांठा जिले में अम्बाजी तीर्थ है। यहां मां अम्बा का भव्य प्राचीन मंदिर है। इसी मंदिर के परिसर में स्थित है सहकुटुंब सिद्धि विनायक मंदिर। यहां गणेशजी अपने पूरे परिवार के साथ विराजे हैं। मंदिर के पुजारी मुकेश भाई के मुताबिक, यह दुनिया में इकलौता मंदिर है, जहां गणेशजी की सहकुटुंब पूजा होती है।
ऐसा है गणेशजी का पूरा परिवार
शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान गणेश का शरीर विशालकाय और मुंह की जगह हाथी का मुख लगा हुआ था तो कोई कन्या उनसे विवाह को तैयार न थी। इस पर भगवान गणेश बिगड़ गये और अपने वाहन मूषक को समस्त देवी-देवताओं के विवाह में विघ्न डालने का आदेश दिया।
अब जहां भी विवाह होता, वहां मूषक पहुंच जाते और विघ्न डाल देते। तंग आकर देवताओं ने भगवान ब्रह्मा से कोई उपाय करने की गुहार लगाई तब ब्रह्मा ने दो कन्याओं, रिद्धि और सिद्धी का सृजन किया और गणेशजी से उनका विवाह करवाया। इस तरह बुद्धि और विवेक की देवी रिद्धि और सफलता की देवी सिद्धी का विवाह गणेश जी से हुआ जिनसे शुभ और लाभ नामक दो पुत्र भी हुए।
धर्म ग्रंथों में कहीं-कहीं मां संतोषी को गणेशजी की बेटी बताया गया है, जिसका प्रमाण यहां मिलता है। साथ ही गणेशजी के दो पोते - क्षेमे और कुशल भी यहां विराजे हैं।
मल्टीमीडिया डेस्क। साल 2019 में कुल 5 ग्रहण लगेंगे। पहला सूर्यग्रहण साल के पहले ही हफ्ते में 6 जनवरी को लगेगा। यह सूर्यग्रहण पौष अमावस्या यानी 5 जनवरी की आधी रात के बाद 6 जनवरी की मध्य तक रहेगा। हालांकि यह भारत में नहीं दिखाई देगा। यूरोप, मध्य एशिया, अफ्रीका, अमेरिका में इसे साफ-साफ देखा जा सकते है।
इन बातों का रखें ध्यान
ग्रहण के दौरान खुले आसमान के नीचे नहीं रहना चाहिए।
लोगों की मान्यता है कि ग्रहण के तुरंत बाद किसी भी काम को करने से पहले नहाना चाहिए।
घर के मंदिर में रखी मूर्तियों को भी नहलाना या फिर गंगाजल छिड़कना चाहिए।
मूर्तियों और खुद को नहलाने के बाद पूरे घर में धूप-बत्ती कर शुद्धीकरण किया जाना चाहिए।
घर में या बाहर मौजूद तुलसी के पौधे को भी गंगाजल डालकर स्वच्छ करना चाहिए।
मान्यता है कि ग्रहण के बाद मन की शुद्धी के लिए दान-पुण्य भी करना चाहिए।
ऐसे होता है सूर्यग्रहण
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ अपने सौरमंडल के सूर्य के चारों ओर भी चक्कर लगाती है। दूसरी ओर, पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा भी पृथ्वी के चक्कर लगता है, इसलिए, जब भी चंद्रमा चक्कर काटते-काटते सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तब पृथ्वी पर सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से दिखना बंद हो जाता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
बिना चश्मे के कभी भी सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। सूर्य की तीव्र किरणों के पड़ने से आंखें खराब हो सकती है। सूर्यग्रहण को खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों से ही देखना चाहिए।
इस मंत्र का करें जाप
सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
सूर्य मंत्र: ॐ घृणि सूर्याय नम:|| महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!
2019 के सूर्यग्रहण
6 जनवरी 2019: सुबह 4.05 बजे से 9.18 बजे
2 जुलाई: रात्रि 11.31 बजे से 2.17 बजे
26दिसंबर19: सुबह8.17 से 10.57 बजे
2019 के चंद्रग्रहण
21 जनवरी: सुबह 9.03बजे से12.20 बजे
16 जुलाई: दोपहर 1.31 बजे से शाम 4.40 बजे
मल्टीमीडिया डेस्क। महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत विनोबा एक बार रांजणागांव पधारे। संत जब भिक्षाटन के लिए निकले तो गृहस्वामिनी ने भिक्षा देते हुए कहा, 'महाराज आपसे एक विनती है। मेरे पति रोजाना मुझसे झगड़ा करते हैं और कहते हैं कि यदि तुने मेरी बात नहीं मानी तो मैं भी संतोबा के समान वैराग्य धारण कर लूंगा। आप ही बताए मैं क्या करूं संतोबा नें हंसते हुए कहा, 'इस बार यदि वह धमकी दे तो कह देना की वह घर छोड़कर संतोबा के साथ जा सकते हैं। मेरा जीवन आपके बगैर भी चल सकता है।' दूसरे ही दिन पति-पत्नी में किसी बात को लेकर तकरार हो गई। पति ने फिर से घर छोड़कर जाने और संतोबा की मंडली में शामिल होने की बात कही। इस बार पत्नी ने कह दिया, 'वह घर छोड़कर जा सकते हैं। मैं अकेले ही जीवन यापन कर लूंगी। पति ने पत्नी की बात से आहत होकर घर छोड़ दिया और वह संतोबा के पास पहुंच गया। संतोबा ने उसकी विनती पर उसको संन्यास मार्ग पर आगे बढ़ने की इजाजत देते हुए उसको अपनी मंडली में शामिल कर लिया। संतोबा ने उसके शरीर पर भभूत मलने के साथ उसको कमंडल और झोली भिक्षाटन के लिए दी और कहा, 'नजदीक के गांव से भिक्षा मांगकर लाए।
वह गुरु आज्ञा से पास के गांव में भिक्षाटन के लिए गया। कई घरों में भिक्षा मांगने के बाद भी उसको ज्यादातर जगहों पर निराशा मिली। आखिर एक घर से उसको कुछ चपाती, चावल और तरकारी मिली। वह लेकर संतोबा के पास गया। संतोबा ने उस भिक्षा को ग्रहण करने के लिए कहा। उस व्यक्ति ने जब उस खाने को देखा तो खाने से इंकार कर दिया। तू संतोबा ने उससे कहा, 'हमारे लिए तो रोजाना यही 56 भोग है और हम इसको ही रोजाना ग्रहण करते हैं।'
इतना सुनते ही उस व्यक्ति की आंखों पर डला वैराग्य का परदा हट गया और वह बोला, 'इस तरह के संन्यास से रोजाना के झंझट वाली गृहस्थी लाख गुना बेहतर है।
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