
रक्षा बंधन, जन्माष्टमी की तरह इस बार भादो के महीने में होनी वाली अमावस्या पर कंफ्यूजन है। दरअसल इस बार अमावस्या तिथि दो दिन लग रही है। 26 और 27 अगस्त दोनों दिन अमावस्या है। भाद्रपद के महीने में लगने वाली अमावस्या को कुशाग्रहिणी अमावस्या कहते हैं। इस बार यह अमावस्या शुक्रवार को 11.30 बजे लगेगी और शनिवार को दोपहर 1 बजे तक रहेगी।
अगर उदया तिथि के अनुसार देखा जाए तो अमावस्या तिथि शनिवार को है। शनिवार को होने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं। ज्योतिर्विदों की मानें तो इस बार शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन अमावस्या मनाई जा सकती है। अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध कर्म आदि किया जाता है। अमावस्या अगर उदया तिथि के हिसाब से मनाएं तो शनिवार को होगी, अगर दो दिन की मान रहे हैं, तो शुक्रवार को श्राद्ध और शनिवार को स्नान और दान की अमावस्या होगी।
शास्त्रों के अनुसार, भादो अमावस्या भगवान कृष्ण को समर्पित होती है। अमावस्या पूजा के लिए कुशा (हरी घास) का इस्तेमाल किया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, भाद्रपद अमावस्या सोमवार को पड़ती है तो, एक ही कुशा का इस्तेमाल 12 साल तक किया जा सकता है।
भाद्रपद अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त-
अमावस्या तिथि 26 अगस्त, शुक्रवार को दोपहर 11 बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो कि 27 अगस्त, शनिवार को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी।