ज्येष्ठ का महीना हनुमान जी और शनिदेव दोनों को बहुत ही प्रिय है। कहते हैं कि इस महीने में इनकी की गई अराधना बहुत ही फलदायी मानी जाती है। बड़े से बड़ा कष्ठ इस महीने में की गई हनुमान जी और शनिदेव की अराधना से कट जाता है। इस महीने में आने वाले चारों मंगलवार का विशेष महत्व है। इन मंगलवार को बड़ा मंगल, बुढ़वा मंगल कहते हैं। कहा जाता है कि इन मंगलवार को हनुमान दी श्रद्धा से की गई अराधना बहुत फलदायी होती है। इसके अलावा 30 मई को ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। शनि जयंती पर शनि की साढ़े साती और शनि ढैया और कार्लसर्प वाले जातकों को शनिदेव की पूजा बहुत फल देती है। यह भी मान्यता है कि इसी महीने में रामभक्त हनुमान अपने आराध्य से मिले थे।
शनि देव की अराधना के लिए शनि जंयती से अच्छा कोई दिन नहीं है। शनि की साढ़ेसाती और ढैया वालों के लिए इस दिन शनि पर काला तिल, तेल आदि के उपाय बहुत ही फलदायी माने जाते हैं। इस दिन सोमवती अमावस्या भी है, इसलिए इस दिन पितृों के लिए श्राद्ध कर्म भी करना आपके जीवन में खुशहाली लाता है। इसके अलावा इस महीने में भगवान सूर्य की अराधना भी गरीबी दूर करती है। यही नहीं गर्मी में पानी के महत्व को भी इसी महीने में माना गया है। निर्जला एकादशी, गंगा दशहरा, वट सावित्री व्रत जैसे पर्व भी इसी महीने में मनाए जाते है। जिनमें पानी के महत्व को समझाया गया है। कई गुणा पुण्य इस महीने में सिर्फ जलदान करके ही कमाया जा सकता है।
हनुमान जी की पूजा के लिए इस महीने हनुमान जी को सिंदूर का लेप, चोला चढ़ाना चाहिए। वहीं शनिदेव की अराधना के लिए इस महीने शनि पर तेल का दान और काले तिल दान करने चाहिए। जल से भरा घड़ा, पंखा आदि दान करना भी इस महीने में बहुत ही श्रेष्ठ है।