35,000 करोड़ रुपये के निर्यात का भी लक्ष्य
नई दिल्ली। सरकर देश के भारी-भरकम रक्षा बजट को मेक इन इंडिया के तहत लाकर रक्षा जरूरतों पर आत्मनिर्भर बनने की तैयारी कर रही। इसके संकेत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने दिए हैं। उन्होंने तीनों सेनाओं को रक्षा उत्पादों का आयात कम करने और ‘मेक इन इंडिया' के जरिये अपनी मांग पूरा करने की सलाह दी है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक बेहतर कदम है। इससे स्वदेशी रक्षा उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा और बड़ी संख्या में रोजगार भी सृजन होगा।
सरकार की तैयारी रक्षा जरूरतों को मेक इन इंडिया के तहत आत्मनिर्भर बनने के साथ निर्यात बढ़ाने की भी है। इसी को देखते हुए 2024-25 तक रक्षा उत्पादों का निर्यात 35,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य तय किया गया है। इससे पहले वित्त वर्ष 2016-17 में रक्षा निर्यात 1,500 और 2017-18 में 4,500 करोड़ रुपये का हुआ था।
उत्तर प्रदेश में हुए डिफेंस एक्सपो में 70 से अधिक देशों की रक्षा कंपनियों ने भाग लिया। इनमें लॉकहिड मॉर्टिन (अमेरिका), साब (स्वीडन), बोइंग (अमेरिका), रोहड एंड श्वार्ज (जर्मनी), रोसोबोरन एक्सपोर्ट्स (रूस), एयरबस (फ्रांस), दसां एविएशन (फ्रांस), यूनाइटेड एयरफ्रॉफ्ट (रूस), सिबत (इजरायल), मैगलन एयरोस्पेस (कनाडा), बीएई सिस्टम्स (यूनाइटेड किंगडम) आदि प्रमुख विदेशी कंपनियां रहीं। यह इस बात का संकेत हैं कि विदेशी कंपनपियां भी भारतीय रक्षा क्षेत्र में अपनी रुचि दिखा रही है।
23 विदेशी कंपनियों के साथ करार
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित 11वें डिफेंस एक्सपो 70 देशों की रक्षा उपकरण बनाने वालीं 172 और भारत की 857 कंपनियां शामिल हुई हैं। इनमें से 23 कंपनियों ने उत्तर प्रदेश के सरकार के साथ प्रदेश में रक्षा उत्पाद बनाने को लेकर करार किया। मेक इन इंडिया के तहत 13 रक्षा उत्पादों की लॉन्चिंग की गई। बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होंगे।
रक्षा विशेषज्ञ और भारतीय थल सेना से रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी ने हिन्दुस्तान को बताया कि रक्षा उत्पादों को भारत में उत्पादन करने के प्रयास पिछले काफी समय से चल रहा है लेकिन अभी तक उसमें उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली है। कोरोना महामारी से पैदा संकट के बाद अब वक्त आ गया है कि सरकार इस पर सख्ती से अमल करें। दुनियाभर की कंपनियां भारत की ओर देख रही है। अगर सरकार सही रणनीति पर काम करेगी तो आने वाले समय में सिर्फ भारतीय सेनाओं की रक्षा जरूरतें पूरी नहीं होंगी बल्कि निर्यात भी शुरू होगा। इससे देश की आय भी बढ़ेगी और बड़ी संख्या में नए रोजगार सृजन होंगे।