थम नहीं रही निजी स्कूलों की मनमानी बच्चों को पढ़ाना भी मुश्किल हुआ
निजी स्कूलों की मनमानी चरम सीमा पर
एडमिशन फीस के नाम पर खुलेआम लूट का सिलसिला शुरू
डोनेशन लेने का नया तरीका
अलग-अलग मद में स्मार्ट तरीके से अवैध पैसा वसूल रहे
अभिभावकों को स्कूलों में सीट नहीं है कह कर डराकर मोटी रकम की वसूली
दादागिरी करने हेतु बाउंसर भी रखे गए हैं स्कूल में ट्रांसफर सर्टिफिकेट देने हेतु भी मनमाना पैसा वसूल रहे
कापी-किताब के कवर और कलर पेंसिल को भी अपने ब्रांड की खरीदने पर मजबूर कर रहे
अंग्रेजी स्कूलों का हाल तो और भी बुरा है मनमाना ढंग से अवैध वसूली अभिभावकों के साथ की जाती है

publicuwatch24.-रायपुर । प्रदेश में शिक्षा को गुणवत्ता पूर्ण बनाने के लिए सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 बनाई है जिसमें सरकारी और निजी स्कूलों में होने वाली पढ़ाई में कोताही नहीं बरती जा सके। साथ ही निजी स्कूलों में किताबों की मनमानी को लेकर भी प्रशासन स त है। पिछले दिनों प्रशासन ने सभी निजी स्कूलों को आदेश जारी कर कहा है कि सभी निजी स्कूलों में एनसीईआरटी और एससीईआरटी की किताब से छात्रों को पढ़ाने कहा गया है। गौरतलब है की निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की मंहगी किताबें लेने छात्रों को मजबूर करते है , इन स्कूल प्रबंधन को किताब प्रकाशकों से भारी भरकम कमीशन मिलता है इस वजह से ये निजी प्रकाशकों की किताबो को तरजीह देते हैं। साथ ही एक आम इंसान अपने बच्चो को निजी स्कूलों में पढ़ा ही नहीं सकता क्योकि फीस तो मनमानी लेते ही हैं जूते, मोज़े, ड्रेस, पेन, कापी , किताब और हर चीज़ वहीं से लेना होता है जिस जगह से स्कूल प्रबंधन बोलते हैं। , ऐसा नहीं करने पर बच्चों को मानसिक रूप से प्रताडि़त भी करते हैं और स्कूल से निकलने की धमकी भी देते हैं। आम जनता ने शासन के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं जिसमे कहा गया है कि निजी स्कूलों में सरकारी किताबें ही पढ़ाई जाये। छत्तीसगढ़ शासन ने सर्व शिक्षा अभियान को बहुत ही गंभीरता से लागू कर अच्छे से जनता के लिए सुविधाओं को प्रचार प्रसार कर नई शिक्षा सत्र का शुभारंभ किया था, लेकिन अधिकांश शासकीय शाला के प्रिंसिपलों की लूट की पोल खुल रही है और दलाल नेता के चुंगल में फंस कर बेवजह पालकों को परेशान कर रहे हैं । इनके हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वे अब शासन के आदेश को चुनौती दे रहे हैं। महंगाई के इस दौर में जहां मां-बाप को स्कूल यूनिफॉर्म, कॉपी किताब और सिलेबस पर उलझ कर कमर तोड़ महंगाई का सामना कर रहे है वहीं मनमाने ढंग से महंगाई का बहुत बड़ा असर स्कूली शिक्षा में पड़ा है। फीस के नाम पर पालकों से मनमाने वसूली हो रही है।
फीस में पिछले 5 सालौं में 30 से 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है उसमें से एडमिशन के लिए स्कूलों की मनमानी चल रही है। हद तो तब हो जाती है जब शासकीय स्कूल में भी एडमिशन करने के लिए बहाने बताकर सीट नहीं है जगह खाली नहीं है का एक राग अलापा जाता है। निजी स्कूलों में मनमाने डोनेशन और स्कूल की फीस तय करने में भी शासन के आदेश का पालन नहीं किया गया। पालक अभिभावक निजी स्कूलों के इस तुगलकी फरमान से परेशान हैं। कोई सुनने समझने वाला नहीं है। निजी स्कूल वालों ने अपना संगठन बना लिया है और शासन पर दबाव बनाने से चूक नहीं रहे हैं जबकि शासन गरीबों और आम जनता के हित के लिए है।
शिक्षा का व्यवसायीकरण कर दिए हैं
निजी स्कूल वाले शिक्षा को भी व्यवसाय समझ कर स्कूल खोल लिए हैं। कहने को तो बच्चो को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात करते हैं लेकिन वास्तव में एक दुकानदार की तरह पेश आते हैं। सब कुछ उनके एजेंटो से ही लेना होता है। एक तो मनमाने फीस ले ही रहे हैं बाकि सभी सामान अपने पसंदीदा दुकानों से लेने बोलकर रही सही कसर भी पूरी कर देते हैं। और जनता से अनाप-शनाप पैसे लूट रहे हैं। सभी प्राइवेट स्कूलों में एक तरह का गिरोह सक्रिय होकर संगठित तौर पर स्कूल मैनेजमेंट आम जनता को एडमिशन के नाम पर खुलेआम लूट रहे हैं। किसी का दबाव नहीं होने के कारण बेवजह पैसा वसूला जा रहा है। निजी स्कूल वाले बोगस अटेंडेंस मामले में कई स्कूलों की मान्यता ख़त्म कर दी गई थी लेकिन अधिकारीयों से मिली भगत कर फिर से स्कूल चालू कर लिए हैं साथ ही एक स्कूल को मान्यता मिली होती है उसके नाम पर ब्रांच खोल लेते हैं और इधर उधर के बच्चो को लेकर परीक्षा दिलवाकर मनमाने पैसे वसूल करते हैं।