
रायपुर l मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि पारंपरिक रूप से बुनाई, कढ़ाई, हस्तशिल्प और माटी कला से जुड़े कारीगरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विशेष रणनीति तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि पीढ़ी दर पीढ़ी इस कार्य में लगे लोगों की आजीविका को पुनर्जीवित करना और उनकी आय बढ़ाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में ग्रामोद्योग विभाग के कार्यों और गतिविधियों की समीक्षा बैठक ली। इस दौरान राज्य में रेशम, हस्तशिल्प, खादी, हथकरघा और माटीकला से जुड़े पारंपरिक कारीगरों, बुनकरों और उत्पादों को प्रोत्साहन देने तथा उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
मुख्यमंत्री ने बैठक में ग्रामोद्योग विभाग के अंतर्गत शामिल सभी घटकों से जुड़ी आधारभूत जानकारी ली और कहा कि इन क्षेत्रों में रोजगार की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता, आधुनिक तकनीक और विपणन के लिए ठोस एवं समन्वित कार्ययोजना तैयार की जाए, ताकि स्थायी रूप से रोजगार के अवसरों का सृजन हो सके।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि रेशम उत्पादन, कोसा वस्त्र निर्माण और हथकरघा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की परंपरा और दक्षता को नई ऊंचाई देने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश में संचालित भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान के माध्यम से कुशल कारीगरों की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने संस्थान के सुचारु संचालन की दिशा में भी ठोस कदम उठाने की बात कही। श्री साय ने कहा कि विभाग द्वारा प्रशिक्षण के लिए जो राशि आबंटित की जाती है, उसका पूर्ण उपयोग सुनिश्चित किया जाए, ताकि कारीगरों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण मिल सके।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पारंपरिक शिल्प और बुनाई से जुड़े अत्यंत कुशल कारीगर मौजूद हैं, जो पीढ़ियों से बेहद सुंदर और आकर्षक कलाकृतियां एवं उत्पाद तैयार करते आ रहे हैं। ये हस्तनिर्मित वस्तुएं लोगों को काफी पसंद आती हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने निर्देश दिए कि इन उत्पादों को राज्य और देश के बड़े बाजारों तक पहुंचाने के प्रयास किए जाएं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बिक्री और निर्यात की संभावनाओं को सक्रिय रूप से तलाशने के लिए विशेषज्ञों की मदद लेने की बात भी उन्होंने कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनिटी मॉल का निर्माण समय पर और गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूर्ण किया जाए, ताकि राज्य के उत्पादों को विशेष स्थान और ब्रांडिंग मिल सके तथा छत्तीसगढ़ की पारंपरिक पहचान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से प्रस्तुत किया जा सके। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जाएं। इस क्षेत्र में नई तकनीकों का उपयोग कर उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता में सुधार लाया जाए, ताकि रेशम उद्योग को मजबूती मिले और अधिक से अधिक लोगों को इससे रोजगार उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि हम अपने पारंपरिक कारीगरों और बुनकरों की कला को सम्मान देकर ही उनके जीवन को समृद्ध बना सकते हैं।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत, सचिव ग्रामोद्योग श्री श्याम धावड़े, प्रबंध संचालक हस्तशिल्प एवं माटीकला बोर्ड श्री जे.पी. मौर्य सहित विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
रायपुर l मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ लॉजिस्टिक्स नीति 2025 को मंजूरी दे दी है। इस नई नीति के तहत राज्य सरकार लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए 140 करोड़ रुपये तक की अनुदान राशि और अन्य कई रियायतें देगी।
लॉजिस्टिक हब, ड्राइ पोर्ट, इनलैंड कंटेनर डिपो, एयर कार्गाे टर्मिनल और गति-शक्ति कार्गाे टर्मिनल जैसे अधोसंरचना लागत का 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा, जिसकी अधिकतम सीमा 140 करोड़ रुपये होगी। इसके अतिरिक्त बाह्य अधोसंरचना हेतु 50 प्रतिशत अनुदान सहित अन्य रियायतें निवेशकों को दी जाएगी। ट्रांसपोर्ट हब या फ्रेट स्टेशन के लिए यह अनुदान 35 प्रतिशत होगा, जिसकी अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपये प्रावधानित है। राज्य सरकार का लक्ष्य छत्तीसगढ़ को देश के प्रमुख लॉजिस्टिक्स हब के रूप में विकसित करना है, जिससे उद्योगों, व्यापारियों और किसानों को सस्ती और आधुनिक भंडारण सुविधाएं मिल सकें।
मध्य भारत में स्थित छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति लॉजिस्टिक्स गतिविधियों के लिए उपयुक्त है। इसी का लाभ उठाते हुए राज्य सरकार अब लॉजिस्टिक्स और ई-कॉमर्स कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करेगी। इससे राज्य की भंडारण क्षमता बढ़ेगी और लॉजिस्टिक्स की लागत घटेगी, जिससे व्यापार और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
इस नीति के तहत ड्राइ पोर्ट, कंटेनर डिपो और एयर कार्गाे टर्मिनल की स्थापना से स्थानीय उद्योगों और उत्पादकों को निर्यात बाजार तक पहुंचने का मौका मिलेगा। साथ ही वन संसाधन, वनोपज और औषधीय पौधों के लिए निर्यात के नए रास्ते खुलेंगे। युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने पर 35 से 45 प्रतिशत तक पूंजी निवेश अनुदान, 50 से 60 प्रतिशत तक ब्याज अनुदान सहित विद्युत शुल्क और स्टांप शुल्क में छूट का प्रावधान किया गया है। इसी तरह लॉजिस्टिक पार्क के लिए प्रति एकड़ 25 लाख तक अनुदान, बाहरी अधोसंरचना के लिए 50 प्रतिशत सहायता, बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्रों में 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा। ग्रीन लॉजिस्टिक्स अपनाने पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान किया गया है। 500 करोड़ से अधिक निवेश या 1000 से अधिक लोगों को रोजगार देने पर विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।
इस नीति का उद्देश्य राज्य में लॉजिस्टिक लागत को कम करना, आधुनिक मल्टीमोडल अधोसंरचना विकसित करना, निर्यात अधोसंरचना को मजबूत करना और लॉजिस्टिक सेक्टर में निजी निवेश को बढ़ाना है। यहां उल्लेखनीय है कि पहले औद्योगिक नीति के तहत लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलता था, लेकिन अब भारत सरकार के लीड्स सर्वे के अनुरूप छत्तीसगढ़ ने स्वतंत्र लॉजिस्टिक नीति बनाकर देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में कदम रख दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस नई पहल से जहां निवेश को नई दिशा मिलेगी, वहीं रोजगार, व्यापार और निर्यात के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ देश का प्रमुख राज्य होगा।
रायपुर l छत्तीसगढ़ इंडस्ट्री डायलॉग-2 ने सोशल मीडिया पर अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की।राजधानी रायपुर में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान #CGBusinessEasy हैशटैग ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर पूरे दिन भारत में शीर्ष ट्रेंड्स में अपनी प्रमुख जगह बनाए रखी। यह ट्रेंड इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की नई पहल ने देशभर के उद्योग जगत और नागरिकों का ध्यान आकर्षित किया है।
सोशल मीडिया पर 6000 से अधिक पोस्ट किए गए, जिनमें बड़ी संख्या में उद्योगपतियों, निवेशकों और नीति-विशेषज्ञों ने वन क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 और ऑनलाइन भूमि आबंटन एवं प्रबंधन प्रणाली की सराहना की। यूजर्स ने इन पहलों को छत्तीसगढ़ को भारत का अगला निवेश और औद्योगिक हब बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया।
अनेक एक्स यूजर्स ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की नेतृत्व क्षमता को सराहते हुए लिखा कि छत्तीसगढ़ ने जो पारदर्शी और डिजिटल व्यवस्था लागू की है, वह अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल बन सकती है। कुछ पोस्ट्स में इस बात पर जोर दिया गया कि प्रदेश में रिकॉर्ड समय में निवेश स्वीकृति, भूमि आवंटन और सब्सिडी वितरण जैसे कार्य अब एक क्लिक में पूरे होंगे, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।
ट्रेंड में भाग लेने वालों ने छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति को प्रगतिशील और दूरदर्शी बताया। कई यूजर्स ने यह भी लिखा कि राज्य सरकार की लॉजिस्टिक नीति, जन विश्वास विधेयक और बस्तर व सरगुजा जैसे क्षेत्रों के विकास संबंधी घोषणाओं ने छत्तीसगढ़ को पूरे देश में चर्चा का विषय बना दिया। यह ट्रेंड छत्तीसगढ़ के प्रति बढ़ती निवेशक रुचि और सकारात्मक भावना का प्रमाण है। सोशल मीडिया पर हुए जबरदस्त रिस्पॉन्स से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ अब तेजी से निवेशकों की पहली पसंद बनने की ओर अग्रसर है।
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