भिलाई। लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही प्रदेश का सियासी पारा भी चढ़ने लगा है। सियासतदार राजनीतिक गोटी बिठाने में लग गए हैं। वहीं दिग्गज नेताओं को मिशन-2019 की सफलता के लिए जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
पंद्रह वर्षों के वनवास के बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस इस बार ज्यादा उत्साहित है। वहीं भाजपा भी अपनी सीटों को बरकरार रखने के लिए कमर कस चुकी है। सबसे ज्यादा दिलचस्प मुकाबला दुर्ग संभाग अंतर्गत आने वाले दुर्ग व राजनांदगांव संसदीय सीट को लेकर देखने को मिल सकता है।
प्रदेश की राजनीति में दुर्ग व राजनांदगांव का बड़ा दखल है। वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दुर्ग संसदीय सीट से ताल्लुक रखते हैं जबकि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह राजनांदगांव लोकसभा सीट के रहवासी हैं।
दोनों ही सीटों को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। भाजपा व कांग्रेस इस सीट पर प्रत्याशी चयन को लेकर काफी तनाव में है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में 20 सीटों में से मात्र दो सीटें ही भाजपा की झोली में गई है, जबकि 18 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है।
राजनांदगांव संसदीय सीट से भाजपा के एकमात्र प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जीत हासिल की है, जबकि दुर्ग लोकसभा सीट व संभाग से कांग्रेस के भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू, रविंद्र चौबे, मोहम्मद अकबार, गुरु रूद्र कुमार, देवेंद्र यादव चुनाव जीतकर विधानसभा तक पहुंचे। वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार में दुर्ग संसदीय सीट के विधायक बतौर मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, कृषि मंत्री, पीएचई मंत्री हैं। वहीं राजनांदगांव सीट से दिग्गज नेता मोहम्मद अकबार पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
कुल मिलाकर दुर्ग संभाग से पांच मंत्री वर्तमान प्रदेश सरकार का चेहरा है। इन नेताओं के कंधों पर दुर्ग सीट को बचाने के साथ ही दूसरे सीटों को कांग्रेस की झोली में डालने की जवाबदेही सौंपी गई है। यह सभी दिग्गज नेता वरिष्ठता और जातिगत समीकरणों के हिसाब से प्रदेश के स्टार प्रचार होंगे।
वहीं दूसरी ओर 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी प्रदेश की कुल 10 सीटें जीत कर भी दुर्ग फतह नहीं कर पाने का मलाल भाजपाइयों को अब भी है, लिहाजा इस सीट पर कमल कैसे खिलेगा इस पर मंथन और मंत्रणा का दौर जारी है।
राजनीति में दुर्ग का दबदबा
देश व प्रदेश की राजनीति में दुर्ग का काफी दबदबा है। यह पूरे प्रदेश की एकमात्र संसदीय सीट है, जहां एक ही समय में तीन सांसद रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार के समय मुख्यमंत्री रहे मोतीलाल वोरा वर्तमान में छत्तीसगढ़ से राज्यसभा के सांसद हैं।
उनकी गिनती कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं में होती है। 2014 में भाजपा की सुश्री सरोज पांडेय को हराकर जीत हासिल करने वाले ताम्रध्वज साहू ने गृहमंत्री बनने के बाद सांसद के पद से इस्तीफा दिया। वहीं भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. सुश्री सरोज पांडेय छत्तीसगढ़ से राज्य सभा की वर्तमान में सांसद है।
देवेंद्र पर रहेगी प्रचार की बड़ी जिम्मेदारी
युवा कांग्रेस और एनएसयूआइ के शीर्ष पदों पर रहे देवेंद्र यादव पर चुनाव प्रचार की बड़ी जिम्मेदारी होगी। सबसे कम उम्र में रिकॉर्ड मतों से जीत कर पहले महापौर चुने गए उसके बाद प्रदेश के कद्दावर नेता प्रेमप्रकाश पांडेय को हराकर विधायक बने।
युवा वोटरों को साधने के लिए देवेंद्र को प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में स्टार प्रचारक उपयोग करने की योजना कांग्रेस ने बनाई है। वहीं एक ही समय में महापौर, विधायक व सांसद रहने का रिकॉर्ड दुर्ग संसदीय सीट के नाम पर दर्ज है। भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री सुश्री सरोज पांडेय ने एक साथ तीनों पदों पर जीत हासिल की थी।