संवेदनशीलता का ऐसा ढ़ोंग करना शर्मनाक एवं सामाजिक अपराध है
स्व. अटलजी के नाम पर राजनीति से, क्षुब्ध और व्यथित हूं: करुणा शुक्ला
रायपुर, 23 अगस्त। जब पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का अस्थि कलश रायपुर पहुंचा और श्रद्धांजलि सभा रखी गई तब जो कुछ हुआ, उस संबंध में सोशल मिडिया में वायरल हो रही विडियो देखकर भारतरत्न एवं पूर्व प्रधान स्व. अटल बिहारी बाजपेयी के निधन पर भाजपा की संवेदनशीलता एवं गंभीरता के ढकोसले को देखकर लोग ना केवल आश्चर्य हो रहे हैं अपितु बाजपेयी जी के सच्चे अनुयायी शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। क्योंकि जिस श्रद्धांजलि सभा के मंच पर प्रदेश के मुख्यमंत्री, पार्टी अध्यक्ष के अलावा संगठन और सत्ता से जुड़े लोगों का मजमा लगा हो वहां प्रदेश सरकार के दो केबिनेट मंत्री अजय चन्द्राकर और बृजमोहन अग्रवाल द्वारा ताली ठोककर ठहाके लगाना ना केवल अनुचित है बल्कि श्रद्वांजलि सभा में ऐसी करसूत निंदनीय के साथ उस परिवार के प्रति ओछी संवेदना को प्रदर्शित करता है। जब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने उक्त दोनो मंत्रियों को ठहाके लगाते देखा तो उन्हें चुप कराया। इसके बाद मंत्री श्री चंद्राकर अपने चेहरे पर गंभीरता दिखाने की नौटंकी करने लगे।
इस संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी व भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुईं करुणा शुक्ला ने कहा कि वह अटलजी की मृत्यु के बाद भाजपा की राजनीति से क्षुब्ध हैं। भाजपा जिस तरह से उनके नाम पर राजनीति कर रही है, उससे व्यथित भी हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले दस साल से अटल बिहारी वाजपेयी को भाजपा के परिदृश्य से पूरी तरह से गायब कर दिया गया था। इस दौरान जिन राज्यों में चुनाव हुए, वहां अटलजी का नाम लेना तो दूर, किसी पोस्टर या बैनर तक में उनकी तस्वीर नहीं लगाई गई। इस साल कुछ राज्यों में चुनाव होना है और भाजपा की नैय्या डूबती दिख रही है तो अचानक भाजपा को अटल बिहारी वाजपेयी तिनके का सहारा दिखने लगे हैं।
शुक्ला का कहना है कि नया रायपुर से लेकर विश्वविद्यालय का नाम अटल बिहारी वाजपेयी रखने का फैसला राज्य मंत्रिमंडल ने लिया है, इसके पहले दस साल में कितनी बार राज्य सरकार ने अटल को याद किया, यह बताए। प्रदेश की जनता आडंबर को समझ रही है। अटलजी की प्रतिमाएं लगाने का कारण सिर्फ और सिर्फ वोट की राजनीति है। शुक्ला का यह भी कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी के जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी तक कितने आत्मीय संबंध रहे हैं, यह इतिहास में दर्ज है, लेकिन भाजपा मानवीय संबंधों का सम्मान करना भूल चुकी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेता का पार्टी में हो रहा अपमान है।
अटल जी की शोकसभा में मंत्रियों की हंसी ठिठोली, यह कैसा सम्मान- रोहित
आम आदमी पार्टी के लोकसभा अध्यक्ष व जगदलपुर विधानसभा प्रत्याशी रोहित सिंह आर्य ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाजपा पर गंभीर आरोप लगाया है। श्री आर्य ने कहा कि भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी बाजपेयी के देहांत से सारा देश शोकाकुल है। पक्ष-विपक्ष सहित ऐसा कोई वर्ग नही होगा जिसने अटल जी के देहांत पर संवेदनाएं व्यक्त ना की हो, पर भाजपा ने जिस तरह अस्थि कलश यात्रा के जरिये राजनीतिकह्य हित साधने की कोशिश कर रही है वह बेहद निंदनीय व शर्मनाक है। यदि भाजपा और उनके नेताओं में अटल जी की मृत्य को लेकर जरा भी संवेदनाएं होती तो अस्थि कलश के साथ हस्ते मुस्कुराते शेल्फी फ़ोटो सोशल मीडिया में वाइरल नही करते। सबसे बड़ा दुर्भाग्य तो तब देखने को मिला जब दिल्ली से रायपुर पहुंचे अस्थि कलश की प्रार्थना सभा मे छत्तीसगढ़ के मंत्रीगण हंसी ठिठोली करते नजर आए। यदि भाजपा में थोड़ी भी शर्म बाकी है तो भारतरत्न अटल जी के अपमान करने वाले मंत्रियों को बर्खास्त कर उन पर कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए। उन्होंने विज्ञप्ति में कहा है कि अटल जी का अचानक गुणगान सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है। श्री आर्य ने आगे कहा कि विगत 9 वर्षों से अटल जी अस्वस्थ थे तब अटल जी के स्वार्थी भक्त भाजपाईयों में से किसी को उनकी महानता दिखाई क्यों नहीं दी। जब हमारे देश में छोटी सी छीख आने पर भी महान पार्टी के नेतागण विदेश दौड़ पड़ते हैं तो ऐसे में इन 9 सालों में अटल जी को एक भी बार विदेश भेजकर इलाज क्यों नहीं करवाया गया। पिछले सभी लोकसभा विधानसभा चुनाव में भी अटल जी को पूरी तरह भुला दिया गया था। विज्ञप्ति में कहा है कि भाजपा का कमान जब से मोदी जी ने संभाला है तब से अटल जी की तस्वीर पार्टी के तमाम प्रचार सामग्रियों से विलुप्त कर दिया गया था। आज अटल जी का गुणगान मोदी जी और उनके टीम की विफलताओं के वजह से खिसकते वोट बैंक और भाजपा की डूबती नैया को बचाने के लिए किया जा रहा है जो कि असफल प्रयास मात्र ही है। आज अटल जी के अस्थि कलश को पूरे देश में मजाक बनने वाले लोग हैं जो अटल जी द्वारा गुजरात दंगों पर राजधर्म का पालन करने की सलाह देने परिणाम स्वरूप सत्ता मिलते ही उन्हें भाजपा से षडयंत्र के तहत विलुप्त कर दिया गया था और साथ आडवाणी जी व मुरली मनोहर जोशी जी को भी अघोषित तौर पर आजीवन पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
श्री आर्य ने कहा कि बड़ी विडंबना की बात है कि भाजपा के संस्थापक को अपने ही घर में अपमान और उपेक्षापूर्ण जीवन जीने के छोड़ दिया गया और मृत्यु के उपरांत गुणगान कर राजनीतिक ढोंग की जा रही है। बगुला भक्ति का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता।
संवेदनशीलता का ऐसा ढ़ोंग करना शर्मनाक एवं सामाजिक अपराध है
- छत्तीसगढ
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