Sunday, 13 July 2025

रायपुर |  प्रदेश की राजधानी रायपुर से एक बड़ी खबर सामने आई है। खबर है कि ईओडब्लू की टीम ने गुरुवार को पीडब्लूडी और चिप्स के ऑफिस में दबिश दी है। बताया जा रहा है कि रेड टीम में कई बड़े अधिकारी भी शामिल हैं। फिलहाल पीडब्लूडी और चिप्स के दफ्तर में कार्रवाई चल रही है। वहीं, बताया जा रहा है कि कई बड़ी गढ़बड़ियों का खुलासा हो सकता है।

रायपुर। पूरे साल में चार से पांच बार चंद्रमा पृथ्वी के करीब आता है, लेकिन इस बार पहले चक्र में 21 जनवरी को पृथ्वी के करीब नहीं आया। अब 19 फरवरी और 21 मार्च पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के करीब दिखेगा। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि एक दशक के बाद ऐसा अवसर आएगा। चंद्रमा करीब होने के कारण बड़ा दिखाई देगा।
खगोली शास्त्री का कहना है कि पृथ्वी की परिक्रमा करता हुआ चंद्रमा पृथ्वी से 3 लाख 61 हजार 740 किलोमीटर या इससे कम दूरी पर आ जाएगा। इसे अंग्रेजी में सुपरमून कहा जाता है। 19 फरवरी का सुपरमून साल का सबसे नजदीक होगा। इस रात को चंद्रमा करीब 14% बड़ा और 30% ज्यादा चमकीला होगा और 27 हजार 554 किलोमीटर करीब होगा।
खगोलशास्त्र के अनुसार
384400 किमी पृथ्वी और चांद की औसत दूरी
27554 किमी करीब होगा 19 फरवरी को सुपरमून
नजदीक 356500 किमी स्थिति को पेरिजी व दूर 406700 किमी वाली स्थिति को ओपीजी कहते हैं।
समानता पूर्णिमा के चंद्रमा से सुपरमून 7% बड़ा और 16% चमकीला होगा
फैक्ट फाइल
दोनों पूर्णिमा पर धरती से दूरी
19 फरवरी - 356846 किलोमीटर
21 मार्च - 360772 किलोमीटर
भविष्य में कब बनेगी ये स्थिति
2034 और 2052 में भी सबसे करीब होगा चंद्रमा। रविशंकर विवि के वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सदी में 356500 किलोमीटर से कम दूरी का सुपरमून देखने के लिए 25 नवंबर 2034 का इंतजार करना होगा। इस दौरान चंद्रमा की दूरी 356446 किमी होगी। इस सदी का सबसे नजदीक 6 दिसंबर 2052 को होगा। चंद्रमा की दूरी 300425 किमी होगी।
इनका कहना है
एक संयोग बस है जो पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के करीब आ रहा है। इसके अलावा साल में पांच से छह बार पृथ्वी के करीब आएगा- डॉ. नंद कुमार चक्रधारी, एस्ट्रोलॉजिस्ट, रविवि
एक दशक के बाद चंद्रमा पूर्णिमा के दिन पृथ्वी के करीब आएगा। संयोग प्राकृति आपदा के बन रहे हैं। अविस्मरणीय घटनाएं हो सकती हैं। चंद्र दान करना होगा- पंडित संजय शर्मा, ज्योतिषाचार्य

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के लिए इस हफ्ते अगर कोई नाम तय नहीं हो पाया तो लोकसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ही संगठन की कमान भी संभाले रहेंगे। पार्टी के अंदरखाने इस बात की चर्चा तेज हो गई है। इसकी वजह यह भी है कि अभी तक पार्टी हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष बदलने को लेकर स्थानीय नेताओं को कोई संकेत भी नहीं दिया है।
सोमवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के दिल्ली लौटने के बाद प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नए नाम की घोषणा होने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राहुल ने मुख्यमंत्री बघेल को फोन करके किसान आभार रैली के सफल आयोजन पर बधाई दी।
उन्होंने और पुनिया ने मुख्यमंत्री या किसी भी वरिष्ठ नेता से प्रदेश अध्यक्ष पर नई नियुक्ति को लेकर चर्चा ही नहीं की। लोकसभा चुनाव को अब समय कम है, इसलिए पार्टी के उच्च सूत्रों का कहना है कि तीन-चार दिन में हाईकमान कोई फैसला ले सकता है।
हाईकमान इस उलझन में है कि प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया गया तो नया अध्यक्ष चुनाव के समय जिम्मेदारी का निर्वहन सही तरीके से कर पाएगा या नहीं? कांग्रेस ने बघेल के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा तो उम्मीद से ज्यादा सीटों पर जीत मिली है।
इस कारण हाईकमान को सोचना पड़ रहा है। दूसरी तरफ, यह भी विचार हो रहा है कि बघेल मुख्यमंत्री के साथ पीसीसी अध्यक्ष की भूमिका निभा पाएंगे या नहीं? इधर, राहुल ने बघेल की जिम्मेदारी बढ़ाने का फैसला लिया है।
वे बघेल को अपने साथ बिहार, ओडिशा समेत दूसरे राज्यों में ले जाना चाहते हैं, ताकि वहां कांग्रेसजनों को बघेल बंपर जीत का फॉर्मूला, घोषणापत्र बनाने और सरकार बनने पर वादों को जल्द पूरा करने की नीति बता सकें। बघेल के लिए दिक्कत यह भी है कि अगले महीने से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है, वित्त मंत्री भी खुद हैं, इसलिए सत्र के दौरान उन्हें विधानसभा में ही रहना होगा। इन सब चीजों को देखते हुए बघेल खुद राहुल से कई बार पीसीसी अध्यक्ष पर नई नियुक्ति की अपील कर चुके हैं।
मध्यप्रदेश में भी पीसीसी अध्यक्ष ही सीएम जिस तरह से बघेल पीसीसी अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री बना दिए गए हैं, उसी तरह से मध्यप्रदेश में कमलनाथ पीसीसी अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री का पद भी संभाल रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि दोनों राज्यों में स्थिति अलग है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 90 में से 68 सीटें जीती हैं, जबकि मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के कब्जे में 114 और भाजपा के कब्जे में 109 है। केवल पांच सीटों का अंतर है। इसलिए, पार्टी के उच्च सूत्रों का कहना है कि पहले मध्यप्रदेश के पीसीसी अध्यक्ष पर फैसला हो सकता है

रायपुर । खेती के साथ-साथ लघु उद्यम के समावेश को बढ़ावा देने का सार्थक पहल करते हुए सरकार ने देश का पहला नैसर्गिक कोसा अभयारण्य नया रायपुर अटल नगर में स्थापित करने का निर्णय लिया है। दो सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में यह अभयारण्य विकसित होगा, जिससे प्रतिवर्ष तीस लाख नगर नैसर्गिक कोसा के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इससे रोजगार के क्षेत्र में काफी बेहतर अवसर मिलेंगे, वहीं बुनकरों की मांग और आपूर्ति की समस्या का समाधान होगा। देश का प्रथम नैसर्गिक कोसा अभयारण्य कुहेरा-राखी में स्थापित किया जा रहा है जहां अर्जुन के पौधों की बहुलता है। अर्जुन का पौधा ही कोसा कृमि के आहार होंगे।
अर्जुन वृक्षों की पत्तियों को ग्रहण कर दो माह के अंदर कोसा कृमि कोसा बना लेगा। छत्तीसगढ़ कोसा वस्त्र निर्माण एवं उसके निर्यात में देश का अग्रणी प्रदेश है। यहां प्रतिवर्ष बुनकरों को 60 करोड़ नग कोसा, फलों की आवश्यकता होती है।
प्रतिवर्ष बुनकरों के मांग एवं आवश्यकता की आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए ग्रामोद्योग संचालनालय (रेशम प्रभाग) रायपुर द्वारा देश के प्रथम नैसर्गिक कोसा अभयारण्य के लिए विकास एवं उत्पादन का कार्य तेजी से किया जा रहा है।
इन वनखंडों में डाबा कोसा कृमियों को छोडने के लिए प्रति वर्ष आधा दर्जन कैंप लगाए जाएंगे। कैम्पों से प्रति वर्ष लगभग एक करोड़ कोसा कृमि इस अभयारण्य में छोड़ा जाएगा, जो अर्जुन वृक्ष की पत्तियों को आहार के रूप में ग्रहण कर दो माह के अंदर लगभग 40 लाख कोसा का उत्पादन होगा, जिसमें से 80 प्रतिशत कोसा यानि 32 लाख कोसा फल तोड़कर ग्रामों के हितग्राहियों दिया जाएगा।
प्रस्तावित अभयारण्य के भूखण्ड का स्वामित्व अटल नगर विकास प्राधिकरण रायपुर का होगा एवं ग्रामोद्योग संचालनालय (रेशम प्रभाग) रायपुर द्वारा कोसा उत्पादन का कार्य किया जाएगा।

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