- बिलासपुर
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लगातार पांचवें साल भी नहीं बढ़ेगी जमीन की सरकारी कीमत, रजिस्ट्री के दौरान पड़ने वाला बोझ इस बार भी रहेगा कम
बिलासपुर। लगातार पांचवे साल भी इस बार फिर से जमीन का सरकारी रेट नहीं बढ़ेगा। जिले में जमीन के कलेक्टर गाइडलाइन रेट की वजह से लोगों पर रिजिस्ट्री के दौरान पड़ने वाले बोझ को कम करने तथा सरकारी और बाजार भाव के अंतर को खत्म करने के लिए गाइडलाइन रेट नहीं बढ़ाए जाने के आसार हैं।
हालांकि पिछले कुछ सालों में शहर के सभी 66 वार्डों में जमीन की कीमत बढ़ाने के बजाय केवल वहीं गाइडलाइन रेट बढ़ाए जा रहे हैं जहां अंतर ज्यादा था और विकास भी हुआ। साल बीत रहा है तो नया वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से लागू हो जाएंगे। तमाम कवायदों के बीच जमीन रजिस्ट्री शुल्क के साथ सरकारी कीमतों पर चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि जानकारों और विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इस साल भी सरकारी कीमतें नहीं बढ़ने के आसार हैं। हालांकि प्रशासन इस बार भी ऐसे वार्डो की पहचान में जुटा है।
जहां अधिक बिक्री वहां 10 फीसदी बढ़ोत्तरी
सर्वे रिपोर्ट में इस बात का भी खास ख्याल रखा जा रहा है कि उनके वार्डों में पिछले साल जमीन की खरीदी बिक्री का आंकड़ा कितना रहा। हालांकि यह तय हो गया है कि जन जगहों पर जमीन की खरीदी बिक्री कम हुई है, वहां किसी कभी परिस्थिति में जमीन की कीमत नहीं बढ़ाई जाएगी। हालांकि ऐसे वार्डों की भी पहचान की जा रही है जहां सबसे ज्यादा मकान और फ्लैट या जमीन की बिक्री हुई है। इन वार्र्डो में जमीन की कीमत 5 से 10 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है।
नहीं बढ़ेगी फ्लैट और मकानों की कीमत
लगातार पांचवें साल भी जमीन की सरकारी कीमत नहीं बढ़ती है तो जिले में बने फ्लैट और मकानों की कीमत भी नहीं बढ़ेगी। इसका फायदा उन लोगों को होगा जो मकान, फ्लैट या जीमन खरीदने की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें पुरानी कीमत ममें भी प्रॉपटी मिलेगी। बिल्डरों ने भी साफ कर दिया है कि कलेक्टर गाइड लाइन में इजाफा नहीं होने पर प्रोजेक्ट महंगे नहीं होंगे। इसके अलावास सरकार एजेंसियां भी पहले ही तय कर चुकी हैं कि एक बार मकानों कीकीमत तय होन के बादउसे नहीं बढ़ाया जाएगा। लोगों को फिक्स रेट पर ही मकान दिए जाएंगे।
प्रदेश में नहीं मंगवाई जाती आपत्ति
मध्यप्रदेश राजस्थान समेत कई राज्यों में कलेक्टर गाइडलाइन तय करने से पहले लोगों से दावा आपत्ति भी मंगाई जाती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह सिस्टम नहीं है। पड़ोसी राज्यों में पहले सभी जगहों की जमीन की कीमत फरवरी में ही तय कर दी जाती है। इसक बाद उस पर आपत्तियां मंगाई जाती है। इन आपत्तियों के निराकरण और सुझावों के बादनए सिरे से जमीन की कीमत तय की जाती है। इससे आम लोग सीधे अपनी राय दे सकते हैं। छत्तीसगढत्र में कही भी ऐसा सिस्टम नहीं है। आरआई और पटवारियों की सर्वे रिवोर्ट के आधार पर ही जमीन की सरीकारी कीमत तय कर दी जाती है।
अंत खत्म करना होगा
सरकार की ओार से कीमते नहीं बढ़ाने के संदेश मिे हैं। क्रेडाई के प्रस्ताव में कहा यगा है कि जमीन के बाजार भाव और सरकारी कीमत में अभी भी थोड़ा अंतर है, इसे खत्म करना होगा। - एसपी चतुर्वेदीए सदस्य क्रेडाई
निर्देश के हिसाब से कीमतें
रजिस्ट्री शुल्क के साथ सरकारी कीमतों पर चर्चा राज्य स्तर पर जारी है। अभी तक कुछ तय नहीं हो सका है। स्टांप डायरेक्टर के माध्यम से जो भी निर्देश मिलेंगे उसी हिसाब से कीमतें लागू होगी। - जेएस आर्मो, जिला पंजीयक
क्रेडाई ने लिखा सरकार को पत्र
गाइडलाइन रेट इस साल भी नहीं बढ़ाने के लिए बिल्डरों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ क्रेडाई ने स्टांप कलेक्टर को इस बारे में प्रस्ताव देने के साथ ही मांग भी की हैं क्रेडाई के सदस्य एसपी चतुर्वेदी के मुताबिक सरकार की ओर से कीमतें नहीं बढ़ाने के संदेश मिले हैं।
श्री चतुर्वेदी के मुताबिक क्रेडाई की ओर से दिए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि जमीन के बाजार भाव और सरकारी कीमत में अभी भी थोड़ा अंतर है, खासतौर पर आउटर में। इस अंतर को पूरी तरह से खत्म करने के लिए ही इस साल भी जमीन की सरकारी कीमत में इजाफा नहीं करना चाहिए। रियल इस्टेट के कारोबार को बढ़ाने के लिए जमीन की सरकारी कीमत स्थिर रखनी होगी।