पब्लिकयूवाच - आज नाग पंचमी है यानी नागों की पूजा का दिन। इस दिन भगवान शिव के आभूषण नाग की भारत की कई जगहों या यूं कहें की पूरे भारत में ही पूजा की जाती है। वैसे तो भारत में नागों के कई मंदिर मौजूद हैं लेकिन एक ऐसा मंदिर भी है जो वर्ष में केवल एक बार ही खोला जाता है। यह मंदिर है नागचंद्रेश्वर जो उज्जैन में स्थित है। यह उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। इस मंदिर को केवल श्रावण मास की शुक्ल पंचमी यानी नाग पंचमी के दिन ही खोला जाता है। मान्यता के अनुसार, स्वयं नागराज तक्षक इस मंदिर में रहते हैं
क्या है पौराणिक मान्यता
शिव शंकर को मनाने के लिए सर्पराज तक्षक ने घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या के प्रसन्न शिव शंकर ने राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया था। मान्यता के अनुसार, इसके बाद से ही तक्षक राजा ने भोलेनाथ के सान्निध्य में वास करना शुरू कर दिया था। लेकिन राजा तक्षक चाहते थे उनके एकांत में कोई विघ्न न पड़े। अत: वर्षों से यही प्रथा है कि नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन देते हैं। यही कारण है कि मंदिर के कपाट केवल नागपंचमी को ही खोले जाते हैं। बाकी के समय मंदिर बंद ही रहता है। मान्यता है कि अगर कोई इस मंदिर के दर्शन करता है तो वो सर्पदोष से मुक्त हो जाता है।
नागपंचमी के दिन जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तो भक्तों की लंबी कतार लगती हैं। नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए शनिवार रात 12 बजे मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इसके बाद रविवार नागपंचमी को रात 12 बजे मंदिर में आरती होगी और फिर कपाट बंद कर दिए जाएंगे। यहां की जाने वाली पूजा और पूरी व्यवस्था महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा संपन्न की जाती है। हालांकि, इस बार कोरोना के चलते मंदिर बंद ही रहेगा।
कब बनी थी मूर्ति:
बताया जाता है कि यह 11वीं शताब्दी की परमारकालीन मूर्ति है। इसमें शिव-पार्वती के शीश पर छत्र रूप में फन फैलाए नाग देवता के दर्शन किए जा सकते हैं। यह मूर्ति नेपाल से लाई गई थी। बता दें कि मंदिर के दूसरे हिसेस में भगवान नागचंद्रेश्वर शिवलिंग रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित है।