रायपुर। हुनरमंद को दरकार की जरूरत नहीं होती, रब की इनायत में उसका नाम तख्तोताज पर लिखा होता है। न उसके हुनर को बढ़ती उम्र रोक पाती है, न ही आम इंसान। बस अपनी कला को आम जनों तक पहुंचाने का मकसद लिए कलाकार आगे बढ़ता जाता है। जी हां, बात हो रही है ऐसे शख्स की, जिनकी आवाज और अदाकारी के देश और दुनिया में दीवाने हजारों हैं। नाम है पीयूष मिश्रा।
कुदरत की दी अनोखी आवाज और दिलचस्प अदाकारी ने युवाओं को उनकी ओर खींच लिया है। गुरुवार को मुक्तकाश मंच पर आयोजित चार दिवसीय नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन बॉलीवुड कलाकार पीयूष मिश्रा पहुंचे। उनके लिखे नाटक ‘गगन दमामा बाज्यो’ का मंचन किया गया।
मौके पर पीयूष ने बातचीत में कहा कि आज जो आप नाटक देख रहे हैं, वह ऐसे युवा का है, जिसे आप भगत सिंह के नाम से जानते हैं। देश और पड़ोसी देश पाकिस्तान में नेहरू, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल पर विरोध दिखाई देता है, लेकिन भगत सिंह ऐसी शख्सियत हैं, जिनके विचारों को दोनों देश मान रहे हैं।
हाल ही में पाकिस्तान में भगत सिंह का चौक बनवाया गया। कारण भी है ऐसा युवा जो पूरी तैयारी के साथ फांसी पर लटका, ताकि लोग जाग सके। रही बात मेरी तो मेरे जीवन का सूत्र है- मुझे अहंकार से नहीं विनम्रता से ख्याति मिली है। गुजरे जमाने की बात करूं तो मेरे अंदर अंहकार की कोई सीमा नहीं थी। हर व्यक्ति मुझे मूर्ख नजर आता था। मैंने अपना लहजा बदला और आठ- नौ साल में लोग मुझे पसंद करने लगे।
भगत सिंह ऐसी शख्सियत, जिन्हें भारत-पाक दोनों ने स्वीकारा
- रायपुर
- Posted On