
क्या होती है अकाल मृत्यु-
गरुड़ पुराण के अनुसार सिंहावलोकन अध्याय में वर्णित किया गया है कि अगर किसी की मृत्यु भूख से पीड़ित होकर, हिंसक प्राणी द्वारा, फांसी लगाकर, विष पीकर, आग में जलन, जल में डूबने, किसी विषैले जीव के काटने, किसी दुर्घटना के कारण या फिर आत्महत्या करने से होती है तो उसे अकाल मृत्यु कहा जा सकता है। गरुड़ पुराण में इन सभी प्रकार के मृत्यु में आत्महत्या को सबसे घृणित और निंदनीय अकाल मृत्यु माना गया है। अगर हम शास्त्रों की बात करें तो भगवान श्री हरि विष्णु ने आत्महत्या को परमात्मा का अपमान करने के बराबर बताया है, ऐसे में कहा गया है कि परिस्थिति कैसी भी हो मनुष्य या किसी भी जीव को आत्महत्या नहीं करनी चाहिए वरना वो ईश्वर का दोष कहलाता है। ऐसा करने वाले को ईश्वर बड़ी कठोर सजा देते है।