K.W.N.S.- हिंदू धर्म में शालिग्राम का विशेष महत्व है. शालिग्राम को साक्षात भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. शैव संस्कृति के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव जहां-जहां से गुजरे थे, तब उनके पैरों के नीचे आने वाले कंकड़-पत्थर शालिग्राम का रूप ले लिए थे. बता दें, शालिग्राम कुल 33 प्रकार के होते हैं. जिनमें से 24 प्रकार के शालिग्राम को भगवान विष्णु से संबंधित माना जाता है और 24 अवतारों से माना जाता है. इसका साथ ये भी कहा जाता है, जिस भी व्यक्ति के घर शालिग्राम होता है, उसके जीवन में कभी दुख, कष्ट, परेशानियां नहीं आती हैं. लेकिन अगर आपके घर है, तो उससे संबंधित कुछ नियमों के बारे में जानना बेहद जरूरी है, तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में शालिग्राम से संबंधित कुछ नियमों के बारे में बताएंगे, जिसका अगर आपने पालन नहीं किया तो आपको कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
कैसे होता है शालिग्राम का निर्माण
क्या आज जानते हैं, नेपाल के गंडकी नामक नदी में शालिग्राम के पत्थर पाए जाते हैं. इस पत्थर में एक चक्र होता है. उस चक्र का निर्माण एक कीड़े से होता है, जो उसी नदी में खासकर पाया जाता है।
शालिग्राम की पूजा करने के लिए करें इन नियमों का पालन
1.आचरण शुद्ध रखना चाहिए
शालिग्राम वैभव धर्म का सबसे बड़ा रूप माना जाता है. ये सात्विकता का प्रतीक माना जाता है. इनके पूजन से विचार और आचार में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. अगर आप मांस, मदिरा का सेवन करते हैं, तो आपको भूलकर भी शालिग्राम का पूजा नहीं करना चाहिए।
2.रोजाना करें पूजन
रोग, यात्रा और महावारी के अलावा आपको शालिग्राम की पूजा प्रतिदिन करनी चाहिए.
3.एक ही शालिग्राम होना चाहिए
ध्यान रहे, कि घर में केवल एक ही शालीग्राम होना चाहिए.
4.शालिग्राम को पंचामृत से कराएं स्नान
पूजा करने से पहले शालिग्राम को रोजाना पंचामृत से स्नान कराना चाहिए.
5.चंदन और तुलसी से करें पूजा
शालिग्राम पर चंदन लगाकर उसके ऊपर तुलसी पत्ता रखें. ध्यान रहे, चंदन की एक लकड़ी को लें, उसे शिला पर घिसे और फिर उससे शालिग्राम को चंदन लगाएं।