जगदलपुर. विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ड्यूटी डॉक्टरों की लापरवाही के ऐसे कई उदाहरण है लेकिन एक ताज़ा मामला प्रकाश में आया है जिसमें परिवारजनों ने अपने करीबी की मौत के पीछे डॉक्टरों की लापरवाही होना बताया है. दरअसल, सांस व बीपी की बीमारी से पीड़ित एक मरीज को कुछ दिन पहले गंभीर अवस्था में महारानी अस्पताल ले जाया गया था, जहाँ उसका प्राथमिक औपचारिक इलाज करने के बजाय ड्यूटी डॉक्टर ने उसे मेडिकल कॉलेज डिमरापाल रेफेर कर दिया, आनन-फानन में परिवारजनों ने मरीज को मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट करवाया जहाँ बुधवार के तड़के उसकी मौत हो गयी.
लगभग आठ दशकों से संचालित महारानी अस्पताल लोगों के लिए अब बस एक शो-पीस साबित हो रहा है. उधर चौदह किलोमीटर दूर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की लापरवाही से निरंतर मौतें हो रही हैं, जिसका खामियाजा परिवारजन उठाने को मजबूर हैं. साथ ही लचर सुरक्षा व्यवस्था ने भी विगत कुछ समय से ग्रामीण अंचलों और लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है. ऐसे कई और गंभीर आरोप एक मरीज के परिवारजनों ने लगाये हैं, जिसकी मौत बुधवार की तड़के मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में हो गयी.
अकेली बेटी ने तीसरी मंजिल से उतारा अपने पिता का शव
मामला यहीं रुका नहीं, उसके शव को किसी भी वार्डबॉय या कॉलेज का स्टाफ तीसरी मंजिल से नीचे लाने को तैयार नहीं हुआ, लिहाजा मरीज की बेटी ने जैसे-तैसे अपने पिता के शव को नीचे लाया, जहाँ शववाहन की भी व्यवस्था नहीं होने के चलते परिचितों की मदद से जगदलपुर अपने घर तक लाया गया.
108 सुविधा तीन घंटों तक नहीं पहुंची, दोस्तों की मदद ली
कई दिनों से भर्ती अपने पिता के साथ हुए अत्याचार और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मृतक की बेटी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर कई खुलासे किये हैं. जिसमें उसने बताया कि पहले दिन अपने पिता को अस्पताल ले जाने के लिए 108 को फ़ोन किया गया था, जब तीन घंटे के इंतज़ार के बाद भी सुविधा नहीं मिली तो दोस्तों की मदद से महारानी अस्पताल ले जाया गया. मालूम हो की मृतक और उसका परिवार शहर के प्रतिष्ठित और संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखते हैं.
महारानी के ड्यूटी डॉक्टर ने प्राथमिक इलाज के बदले डिमरापाल किया रेफेर
उसने बताया कि पिताजी को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, ड्यूटी डॉक्टर ने प्राथमिक इलाज करने के बजाय सीधे मेडिकल कॉलेज जाने की सलाह दी. चूँकि, दोपहर बाद वहां जाना हो पाया, कोई ड्यूटी डॉक्टर मेडिकल कॉलेज में उपस्थित नहीं था. स्टाफ नर्स ने भी ऐसा ही जवाब दिया, जिसके चलते काफी देर हो गयी और दुसरे दिन उसके पिता ने दम तोड़ दिया.
डॉक्टरों की लापरवाही के चलते 21 लोगों की हो चुकी है अब तक मौत – अस्पताल स्टाफ
इधर अस्पताल स्टाफ ने दबे स्वर में बताया कि महारानी अस्पताल के स्थानांतरण के बाद से लगभग 21 से ज्यादा लोगों की मौत डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से हो चुकी है, लेकिन प्रत्येक बार मामले को रफादफा कर दिया जाता रहा है, जिसके चलते मरीज अब जगदलपुर में ही निजी अस्पतालों में अपना इलाज करवाना पसंद कर रहे हैं, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से आये मरीजों का कहना है कि इससे कहीं ज्यादा अच्छा इलाज तो ग्राम के प्राथमिक उपचार केन्द्रों में हो रहा है.