publicuwatch24.com,-पुराणों और शास्त्रों में शनि देव को न्याय और दण्ड का देवता माना गया है। मान्यता है कि शनि देव व्यक्ति को उसके कार्यों के आधार पर दण्ड प्रदान करते हैं। शनि देव इसी दण्डाधिकारी रूप के कारण सभी उनसे डरते हैं। लेकिन शनि देव और भगवान कृष्ण के बीच एक अनूठा संबंध है, इस कारण शनि देव कृष्ण भक्तों को कभी परेशान नहीं करते हैं। देश में शनिदेव और भगवान कृष्ण का एक ऐसा पौराणिक मंदिर है जहां भगवान कृष्ण ने कोयल के रूप में शनिदेव को दर्शन दिए थे। इस मंदिर में शनिदेव का दर्शन करने और उन्हें सरसों का तेल चढ़ाने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है । आइए जानते हैं शनिदेव के इस अनूठे मंदिर के बारे में...
कोकिला वन मदिंर भगवान कृष्ण की नगरी के रूप में प्रसिद्ध मथुरा जनपद के कोसी कलां नामक स्थान पर शनि देव का एक अनूठा मंदिर है। इस मंदिर को कोकिला वन के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में शनि देव के साथ भगवान कृष्ण और राधा का भी पूजन किया जाता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति शनि की साढे साती या ढैय्या से परेशान हो उन्हे इस मंदिर में आ कर शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। शनि मंत्रों का पाठ करते हुए मंदिर की परिक्रमा की जाती है। ऐसा करने से शनि देव की महादशा से मुक्ति मिलती है।
कोकिला वन की पौराणिक कथा शनिदेव बाल्यकाल से ही भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त हैं। शनि देव में न्याय प्रियता, सच्चाई, इमानदारी और अनुसाशन का गुण भगवान कृष्ण की भक्ति से ही प्राप्त किया है। एक बार शनि देव ने भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था। शनिदेव की तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान कृष्ण ने उन्हें इसी वन में कोयल के रूप में शनि देव को दर्शन दिए थे। इसलिए इस वन को कोकिला वन के नाम से जाना जाता है। डिसक्लेमर 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'