
publicuwatch24.com,बीजापुर। बस्तर में हर साल अरबों रुपए का तेंदूपत्ता उत्पादन होता है. वनोपज के रूप में तेंदूपत्ता आदिवासियों को सर्वाधिक रोजगार एवं आर्थिक रूप से सक्षम बनाता है. लेकिन इस साल मौसम के चलते खरीदी में कमी आने की आशंका है. फड में रखे हरे सोने में दाग लग चुके हैं।
दरअसल, प्रत्येक वर्ष मार्च अप्रैल माह में तेंदू के छोटे छोटे पौधों में नये पत्ते लगने प्रारंभ हो जाते हैं. ग्रामीण अपने परिवार सहित इन तेंदू के पौधों से पत्तों की तोड़ाई करते हैं. इन पत्तों की गडिड्यां बनाकर इन्हें धूप में सुखाया जाता है. इस साल से तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्रति मानक बोरा 4000 की मजदूरी मिलेगी।
517 फड़ में तेंदूपत्ता संग्रहण
बीजापुर ज़िले में कुल 28 समतियों के 517 फड़ो में तेंदूपत्ता की खरीदी की जा रही है. जिले में कुल 54000 लाभार्थी है. जिले में साल 2020 में 82000 मानक बोरी की खरीदी हुई थी।
वहीं इस साल 80500 मानक बोरी का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 50 प्रतिशत, 40000 मानक बोरियों की खरीदी की जा चुकी है. बिगड़ते मौसम की वजह से पत्तियों में काले दाग और पत्तियां सड़ने भी लगे हैं. आंधी तूफान के कारण सुखाये हुए पत्ते के बंडल भी उड़ चुके है, जिससे बहुत नुकसान हुआ है. अनुमान लगाया जा रहा है की इस साल तेंदूपत्ता संग्रहण में कमी आएगी।