पब्लिकयूवाच - चीन । जब से कोरोना वायरस दुनिया में कहर बरपा रहा है, तभी से चमगादड़ भी चर्चाओं में है. माना जा रहा था कि कोरोना चमगादड़ से इंसान में पहुंचा. लेकिन हैरानी की बात ये है कि जिस हार्स शू प्रजाति के चमगादड़ की वजह से कोरोना वायरस फैला, उस प्रजाति का चमगादड़ वुहान में पाया ही नहीं जाता. और ना ही वुहान के सी-फूड मार्केट में इसे खरीदा या बेचा जाता है. इतना ही नहीं, चमगादड़ का मांस या सूप भी वुहान के लोगों को कभी पसंद नहीं रहा. तो ऐसे में सवाल उठता है कि वुहान में चमगादड़ कहां से आया? चीन के दो वैज्ञानिकों ने खुद इस राज से भी पर्दा हटा दिया है ।
चीन के वुहान में मौजूद है इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी. यही वो लैब है, जहां चीन चमगादड़ समेत बाकी जानवरों पर शोध करता है. इसी वायरोलॉजी लैब में हॉर्स शू प्रजाति के चमगादड़ पर भी रिसर्च चल रहा था. दरअसल, 2002-2003 में इसी हॉर्स शू बैट नाम की प्रजाति के चमगादड़ से सार्स वायरस भी फैला था. लिहाजा चमगादड़ के वायरस पर रिसर्च के लिए अमेरिका ने इसी वायरोलॉजी लैब को 2015 में फंड का देने का फैसला किया. पिछले पांच सालों में अमेरिका वुहान की इस लैब को करीब 3.7 मिलियन डॉलर यानी लगभग 28 करोड़ रुपये दे चुका है ।
अब इसी लैब को लेकर दुनिया भर की आंखें टेढ़ी हैं. क्योंकि दुनिया ये मानती है कि कोरोना का कहर इसी लैब से बाहर निकला. हालांकि चीन शुरू से ये दावे कर रहा है कि कोरोना का वायरस वुहान की सी-फूड मार्केट से फैला. लेकिन सच्चाई क्या है, इस सच को भी जान लीजिए. साउथ चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के दो साइंटिस्ट बुताऊ जियाऊ और ली जियाऊ ने कोरोना के जन्म को लेकर अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट तैयार की है ।
छह फरवरी को तैयार इस रिपोर्ट में इन दोनों चीनी साइंटिस्ट ने ये दावा किया है कि कोरोना वायरस वुहान के वायरोलॉजी लैब से ही लीक हुआ है, ना किसी फूड मार्केट से. रिपोर्ट में कहा गया है कि हॉर्स शू प्रजाति के चमगादड़ अमूमन गुफाओं या पेड़ों पर ही लटके पाये जाते हैं. आमतौर पर ये आबादी से बहुत दूर रहते हैं. वुहान शहर की आबादी लगभग डेढ़ करोड़ है. जबकि वुहान का सी फूड मार्केट बेहद घनी आबादी के बीच है. ऐसे में इस तरह के चमगादड़ों का इतनी घनी आबादी के बीच होना नामुमकिन है. तो फिर वुहान में चमगादड़ कहां से आए ।