पब्लिकयूवाच - सम्पादकीय - यह गंभीर चिंता की बात है कि कोरोना के खिलाफ जंग के मैदान में उतरे हमारे पुलिस कर्मी भी इस संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। रविवार तड़के मध्य प्रदेश में इंदौर के एक पुलिस निरीक्षक ने कोरोना संक्रमण से दम तोड़ दिया। इससे पहले शनिवार को पंजाब में लुधियाना के सहायक पुलिस आयुक्त की जान भी कोरोना संक्रमण से चली गई। देश में कोरोना न फैल पाए, इसके लिए पूर्णबंदी को सख्ती से लागू कराने के लिए सबसे ज्यादा अगर कोई जान जोखिम में डाल कर अपनी सेवाएं दे रहा है, तो वह इस देश की पुलिस है।
पुलिस का काम और जिम्मेदारियां इस वक्त सबसे ज्यादा जोखिम और चुनौती भरी है। पूर्णबंदी में सरकार के दिशानिर्देशों के पालन से लेकर जिला प्रशासन के सारे काम पुलिस की मदद से ही चल रहे हैं। चाहे कोरोना संदिग्धों का पता लगाना हो, चिह्नित स्थानों की घेराबंदी हो, संदिग्धों को अस्पताल तक पहुंचाना हो, घर-घर जरूरत का सामान बंटवाना हो, सड़कों पर लोगों को आने-जाने से रोकने और वाहनों की जांच करना, न जाने ऐसे कितने ही काम हैं जो पुलिस कर रही है। जाहिर है, ऐसे में सबसे ज्यादा खतरा भी उसके सामने ही है, चाहे कोरोना संक्रमण लगने का हो, या अपने पर होने वालों हमलों का।
कोरोना से लड़ाई अभी बहुत लंबी है। देश में रोजाना जिस तेजी से नए मामले सामने आ रहे हैं, वह भी कम चिंता का विषय नहीं है। पुलिस की भूमिका सिर्फ पूर्णबंदी तक ही तो सीमित है नहीं। जैसे-जैसे पूर्णबंदी खुलेगी, तब चुनौतियां और बढ़ेंगी। लोगों की आवाजाही शुरू होते ही संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ेगा। व्यापक स्तर पर जांच अभियान के तहत जब जांच का दायरा बढ़ेगा, तो यह काम भी पुलिस की मदद के बिना संभव नहीं होगा।
दिल्ली पुलिस का ही उदाहरण लें। इस वक्त पुरानी दिल्ली के चांदनी महल पुलिस थाने के दो जवानों में यह संक्रमण पाया गया है। चांदनी महल सबसे ज्यादा खतरे वाले चिह्नित इलाकों में से है, जहां तबलीगी जमात के लोगों की आवाजाही सबसे ज्यादा रही। दिल्ली पुलिस के नौ जवान अब तक कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। ऐसे में पुलिस के सामने बड़ा संकट अपने को सुरक्षित बनाए रखने का भी है।
देश की थलसेना और नौसेना भी कोरोना संक्रमण की मार से नहीं बची है। थल सेना में अभी तक नौ मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन मुंबई स्थित नौसेना की पश्चिमी कमान में आइएनएस आंग्रे पोत में छब्बीस नाविकों के कोरोना संक्रमित पाए जाने की घटना ने नींद उड़ा दी है। इस पोत से थोड़ी ही दूर तट पर कमान का दफ्तर है और इसी क्षेत्र में जंगी बेड़े और पनडुब्बियां भी तैनात हैं। पश्चिमी कमान के तहत अरब सागर से हिंद महासागर तक इलाका है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारी सेनाएं पहले से सतर्क हैं और जरूरी बचाव के लिए सभी संभव कदम उठाए होंगे। लेकिन अब एक-एक सैनिक पर कड़ी निगरानी रखने की चुनौती है। नौसेना के इन छब्बीस संक्रमितों में एक सैनिक कुछ दिन अपनी मां के पास रह कर आया था। इस सैनिक की मां भी संक्रमित पाई गई। संक्रमण मां से बेटे में फैला या बेटे के जरिए मां में, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। पर इस घटना से यह तो साफ हो गया है कि कोरोना से बचने के लिए सेना को भी खास तरह के बंदोबस्त तो करने ही होंगे।