एक बार भगवान शिव और माता पार्वती घूमते हुए काशी पहुंच गए। वहां पर भगवान शिव अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर करके बैठे थे। उसी समय पार्वती ने पीछे से आकर अपने हाथों से भगवान शिव की आंखों को बंद कर दिया। ऐसा करने पर उस पल के लिए पूरे संसार में अंधेरा छा गया। दुनिया को बचाने के लिए शिव ने अपनी तीसरी आंख खोल दी, जिससे संसार में पुनः रोशनी बहाल हो गई।
दूसरी तरफ तीसरी आंख खुलने से पैदा हुई गर्मी से पार्वती को पसीना आ गया। उस पसीने की बूंदों से एक बालक प्रकट हुआ। उस बालक का मुंह बहुत बड़ा और भंयकर था। बालक को देखकर माता पार्वती ने भगवान शिव से उसकी उत्पत्ति के बारे में पूछा। शिव ने बताया कि चूंकि उसकी उत्पत्ति तुम्हारे पसीने से हुई है इसलिए यह हमारा पुत्र है। अंधकार में उत्पन्न होने की वजह से उसका नामअंधक रखा गया।
कुछ समय बाद दैत्य हिरण्याक्ष ने भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा। तब शिव ने अंधक को उसे पुत्र रूप में प्रदान कर दिया। अंधक ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान मांगा कि 'वह तभी मरे जब वो यौन लालसा से अपनी मां की और देखे।' अंधक ने सोचा था कि ऐसा कभी नहीं होगा क्योकि उसकी कोई मां ही नहीं है। वरदान मिलने के बाद अंधक देवताओं को परास्त करके तीनों लोकों का राजा बन गया।
फिर उसने विवाह करने का विचार किया। तय किया कि वह तीनों लोकों की सबसे सुन्दर स्त्री से विवाह करेगा। उसे पता चला कि तीनों लोकों में पर्वतों की राजकुमारी पार्वती से सुन्दर कोई नहीं है। जिसने अपने पिता का वैभव त्याग कर शिव से विवाह कर लिया है। वह तुरंत पार्वती के पास गया और उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। पार्वती के मना करने पर वह पार्वती को जबरदस्ती ले जाने लगा तो देवी ने शिव का आह्वान किया।
पार्वती के आह्वान पर शिव वहां उपस्थित हुए और उन्होंने अंधक को बताया कि तुम पार्वती के ही पुत्र हो। ऐसा कहकर उन्होंने अंधक का वध कर दिया।
विशेष
वामन पुराण की कथा में अंधक शिव-पार्वती का पुत्र बताया गया है जिसका वध शिव करते है। एक अन्य मतानुसार अंधक, कश्यप ऋषि और दिति का पुत्र था जिसका वध शिव ने किया था।