
publicuwatch24.-रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और कृषक कल्याण परिषद ने मिलेट को बढ़ावा देने और इसकी उपयोगिता पर बात करने के लिए विशेष सेमिनार रखा। इस सेमिनार में मिलेट मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर पद्मश्री डॉ. खादर वली मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद रहे। डॉ वली ने बताया एक दौर था जब भारत में श्री अन्न यानी मिलेट्स का व्यापक उत्पादन और उपयोग होता था। लेकिन हरित क्रांति के बाद गेहूं और धान पर अधिक निर्भरता बढ़ी, जिससे पारंपरिक फसलों की उपेक्षा हुई और किसानों के अधिकार भी प्रभावित हुए।
उन्होंने कहा कि मिलेट्स जलवायु के अनुरूप फसलें हैं, जिन्हें बहुत कम पानी और उर्वरकों में भी उगाया जा सकता है। 10 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान इनके लिए उपयुक्त है। ये C4 श्रेणी के पौधे हैं, जो कम संसाधनों में अधिक उत्पादकता देते हैं और पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालते हैं। डॉ वली ने बताया मिलेट्स में प्राकृतिक रेशे (फाइबर) की मात्रा अधिक होती है, जो पाचनतंत्र के लिए लाभकारी है। ये शुगर, मोटापा और हृदय रोग जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में मददगार हैं।