
publicuwatch24.-दंतेवाड़ा/रायपुर। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक और बड़ी सफलता मिली है। जिले में पुलिस और प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे लोन वर्राटू अभियान के तहत बुधवार को 71 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का ऐलान किया। आत्मसमर्पण करने वालों में 30 नक्सली इनामी हैं, जिन पर कुल 64 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
मुख्यमंत्री साय ने दिया बयान
71 नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण पर उन्होंने कहा, "लगातार नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं, सरकार उनके साथ न्याय कर रही है। उनको आवास और रोज़गार उपलब्ध कराया जा रहा है।"
एसपी कार्यालय में आत्मसमर्पण
सभी नक्सलियों ने दंतेवाड़ा एसपी और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इस मौके पर एसपी कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह दंतेवाड़ा पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में महिलाएं भी शामिल हैं, जो लंबे समय से जंगल में सक्रिय थीं।
लोन वर्राटू अभियान का असर
दंतेवाड़ा में पुलिस ने 2020 से लोन वर्राटू अभियान (घर लौटो अभियान) शुरू किया था। इसका उद्देश्य नक्सलियों को हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। इस अभियान का असर लगातार देखने को मिल रहा है। अब तक हजारों नक्सली इस अभियान के तहत आत्मसमर्पण कर चुके हैं। बुधवार को एक साथ 71 नक्सलियों का आत्मसमर्पण इस अभियान की बड़ी सफलता मानी जा रही है।
इनामी नक्सलियों की सूची
आत्मसमर्पण करने वालों में 30 नक्सली ऐसे हैं, जिन पर पुलिस और सरकार ने इनाम घोषित किया था। इन पर कुल 64 लाख रुपये का इनाम था। ये सभी नक्सली विभिन्न घटनाओं में शामिल रहे हैं और पुलिस के लिए लंबे समय से सिरदर्द बने हुए थे। आत्मसमर्पण के बाद अब ये सभी पुनर्वास योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस का बयान
एसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और विकास की ओर कदम बढ़ाया है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्यक्रमों से प्रभावित होकर नक्सली मुख्यधारा में लौट रहे हैं। पुलिस ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों को शासन की नीति के अनुसार पुनर्वास पैकेज दिया जाएगा और उन्हें समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
आत्मसमर्पण के कारण
नक्सलियों ने आत्मसमर्पण करने के पीछे कई कारण बताए हैं। इनमें जंगल में लगातार सुरक्षा बलों की दबावपूर्ण कार्रवाई, संगठन में घटती पकड़, नेताओं द्वारा आम कार्यकर्ताओं के शोषण और शासन की योजनाओं से प्रभावित होना प्रमुख हैं। नक्सलियों ने यह भी स्वीकार किया कि अब संगठन की ताकत कम हो रही है और हिंसा से किसी का भला नहीं हो सकता।
लोगों की भूमिका स्थानीय
ग्रामीणों और आत्मसमर्पण कर चुके पूर्व नक्सलियों की भी इस अभियान में बड़ी भूमिका रही है। वे लगातार सक्रिय नक्सलियों को समझा-बुझाकर समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि आने वाले दिनों में और भी नक्सली आत्मसमर्पण कर सकते हैं।
नक्सल उन्मूलन की दिशा में बड़ा कदम
71 नक्सलियों का एक साथ आत्मसमर्पण न केवल पुलिस के लिए बड़ी सफलता है, बल्कि दंतेवाड़ा जिले के लिए भी राहत की खबर है। इससे यह संदेश गया है कि हिंसा और आतंक की राह छोड़कर लोग विकास और शांति की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। पुलिस का दावा है कि आने वाले समय में नक्सलवाद का दायरा और सिमटेगा।