रायपुर । विधानसभा चुनाव की बम्पर जीत का उत्साह लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं का अतिउत्साह न बन जाए। कांग्रेस को इस बात की चिंता सता रही है कि लोकसभा चुनाव में कहीं कार्यकर्ताओं का यह अतिउत्साह पार्टी की नैय्या न डुबा दे। पार्टी के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने मंत्रियों और विधायकों को तो नसीहत दे दी है कि वे अब विधायकी छोड़कर रोड पर उतर जाएं। वहीं, संगठन इस कोशिश में लगा है कि कार्यकर्ता उत्साहित रहें, लेकिन अतिउत्साहित न हों।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद यह देखा गया है, कि जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार बनती है, उसे ही लोकसभा चुनाव में भी बढ़त मिलती है। इसका कारण यह है कि विधानसभा चुनाव के नतीजे के चार माह बाद लोकसभा चुनाव हो जाता है। जीतने वाली पार्टी के पक्ष में माहौल बना रहता है।
अभी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 90 में से 68 सीटों पर जीत मिली है, इसलिए कांग्रेस का मानना है कि प्रदेश में कांग्रेस की लहर बनी हुई है। पार्टी मानती है कि कांग्रेस कुछ पक्ष में मजबूत है, तो कहीं पर अपनी कमजोरी भी मानकर चल रही है। कमजोरी को दूर करने की कवायद चल रही है।
कांग्रेस का मजबूत पक्ष
- तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत।
- प्रदेश सरकार के 60 दिनों की उपलब्धियां।
- पहली बार बूथ स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त कार्यकर्ता तैयार।
- सरकार बनने पर पार्टी पर भरोसा लौटा, कई नेता वापस आए।
- मोदी को घेरने राफेल, जीएसटी, नोटबंदी जैसे सशक्त मुद्दे हैं कांग्रेस के पास।
कांग्रेस का कमजोर पक्ष
- मंत्रिमंडल गठन के बाद से वरिष्ठ विधायकों में नाराजगी।
- ज्यादा दावेदार होने पर असंतोष का खतरा।
- मोदी सरकार की विफलता को घर-घर पहुंचाने की चुनौती।
- ऊपर ही ऊपर जिम्मेदारी का तय होना, इसलिए रणनीति के क्रियान्वयन में पिछड़ जाना।
- पिछले तीन लोकसभा चुनाव में केवल एक-एक सीट जीतती रही।
कांग्रेस की चिंता, कहीं अतिउत्साह में हार न जाए चुनाव
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