बिलासपुर। हावड़ा-हापा एक्सप्रेस के एसी कोच अटेंडर से 29 लाख 87 हजार 724 रुपये कीमती सोने की चूड़ियां जब्त की गई। उसे हावड़ा में किसी ने दवा का बाक्स बोलकर रायपुर तक ले जाने के लिए कहा था। लेकिन चांपा के करीब आरपीएफ की स्कार्टिंग पार्टी ने संदेह के आधार पर पूछताछ की। इस दौरान जैसे ही बाक्स की जांच की गई तो उसके अंदर से 72 चूड़ियां मिलीं। इसके बाद गहने समेत अटेंडर को बिलासपुर में आरपीएफ पोस्ट के सुपुर्द कर दिया गया। इसे बाद में जीआरपी को हैंडओवर किया। मामले की छानबीन जारी है।
मामला शनिवार का है। इस ट्रेन में आरपीएफ की टीम गश्त पर थी। अभी ट्रेन चांपा रेलवे स्टेशन पार हो रही थी। उसी समय गश्त टीम कोच क्रमांक बी-1 पर पहुंची। यहां अटेंडर शोभित मुदलियार पिता जगन्नाथ मुदलियार (34) ड्यूटी पर था। केबिन में एक पैकेट रखा था। यह टेप से पूरी तरह पैक था। इसी पर टीम को संदेह हुआ और उन्होंने अटेंडर से पूछताछ की। उसने बताया कि इसके अंदर दवा है। हावड़ा में एक व्यक्ति द्वारा यही कहकर पैकेट दिया है। इसे रायपुर तक पहुंचाने के लिए उसने 200 रुपये भी दिए हैं। लेकिन उसकी जानकारी से टीम संतुष्ट नहीं हुई।
यही वजह है कि उसने अटेंडर को पैकेट खोलने के लिए कहा। पैकेट खुलते ही जो नजारा था उसे देखकर आरपीएफ के होश उड़ गए। 24-24 की कड़ी में सोने की चमचमाती चूड़ियां थीं। अटेंडर भी सकते में आ गया। पैकेट में एक टैक्स इंवाइस पेपर था जिसमें आरजी इंटरनेशनल पांच कनूलाल लेन दो फ्लोर रूम नंबर 2017 कोलकाता वेस्ट बंगाल 700007 जीएसटीआइएन 19 एएएक्सएफआर 2946 एमआइजेड पांच लिखा था। साथ बिल जेआर ज्वेलर्स सदर बाजार रायपुर के नाम था। इसके अलावा किसी तरह का दस्तावेज नहीं मिला। आरपीएफ ने गड़बड़ी होने की आशंका पर जब्त चूड़ियों समेत अटेंडर को पकड़ लिया। इसके बाद ट्रेन जैसे ही दोपहर 12 बजे के करीब बिलासपुर स्टेशन पहुंची। उसे उतारकर आरपीएफ पोस्ट के हवाले कर दिया गया। मामले की जांच जीआरपी कर रही है।
आयकर विभाग को सूचना
जीआरपी प्रकरण की छानबीन में जुटी हुई है। वह कई तरह के सवालों का जवाब ढूंढ रही है। इनमें एक प्रमुख प्रश्न यह है कि आखिर झूठ बोलकर अटेंडर को इतनी कीमती चूड़ियों को क्यों दिया गया। चोरी-छिपे इसे ट्रेन में क्यों भिजवाया जा रहा था। इस मामले की जानकारी सोमवार को आयकर विभाग को दी जाएगी।
अटेंडर को सामान ले जाने का अधिकार नहीं
एसी कोच अटेंडर निजी कर्मचारी होते हैं जो ठेकेदार के अंदर काम करते हैं। रेलवे हर ट्रेन के लिए ठेका करती है। इसके तहत उन्हें केवल यात्रियों को सुविधा देनी है। सामान का परिवहन करने का अधिकार नहीं है। इसके बाद भी वह नियम को तोड़कर पार्सल वाहक बनकर कमाई के चक्कर में इस तरह कार्य करते हैं।
दवा का पैकेट खुलते ही उड़ गए RPF के होश, निकलीं 30 लाख की चूड़ियां
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