K.W.N.S.-"दक्षिणी दिल्ली में गैंगरेप" आज से ठीक 10 साल पहले 17 दिसंबर 2012 को मेरे मोबाइल फोन पर यह मैसेज फ्लैश हुआ. उस वक्त, मैं इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकी कि इस केस का देश के कानून, समाज और खुद मुझ पर क्या असर पड़ने वाला है. मैं उस समय राजधानी दिल्ली में एक नेशनल डेली न्यूजपेपर के साथ एक क्राइम रिपोर्टर थी. मुझे पता था कि 'साउथ दिल्ली' कीवर्ड का क्या मतलब है. मुझे अपने एडिटर को तुरंत ये जानकारी देनी थी और आगे डिटेल के लिए काम पर लगा जाना था. आखिर ये घटना कैसे घटी और बाकी डिटेल्स के लिए उस वक्त की साउथ दिल्ली की DCP छाया शर्मा को फोन किया।
किरण फोन पर कोई जवाब नहीं मिला. हालांकि कुछ ही मिनटों में मुझे और ज्यादा जानकारी फोन पर ही मिल गई. दिल्ली में चलती बस में 23 साल की पैरामेडिक स्टूडेंट जो वसंत कुंज से सिनेमा देखकर बस से जा रही थी उनके साथ घटना घटी. ये बहुत सदमा देने वाला था. ये मेरी उम्र की किसी महिला के साथ कैसे हो सकता है ? पूरे शहर में यह सबसे सुरक्षित इलाका माना जाता था. कोई सिनेमा देखकर घर लौट रहा हो और ये घटना कैसे घट सकती है...मैं खुद भी इस तरह से कई बार जाती थी।
तब खबरों को ट्रैक करने के लिए शायद ही कोई सोशल मीडिया हुआ करता था. अब के विपरीत, ट्विटर पर मिनटों के भीतर घटनास्थल का कोई वीडियो और फोटो अपलोड नहीं किया जाता था; कोई हैशटैग आक्रोश नहीं था. ऑनलाइन रिपोर्टिंग की भी जल्दी नहीं थी. एक बार कुछ बेसिक जानकारी मिलने के बाद, मैं मौके पर वसंत कुंज पहुंची. हिंदी और अंग्रेजी समाचार पत्रों और समाचार चैनलों के कई अन्य पत्रकार भी उस स्थान पर पहुंचे थे जहां 23 वर्षीय महिला और उसके ब्वॉय फ्रेंड को एक रात पहले बलात्कार के बाद चलती बस से फेंक दिया गया था. दिसंबर की सर्द और अंधेरी शाम थी. मौके पर मौजूद कोई भी मीडियाकर्मी से बात नहीं कर रहा था. इस बीच, मेरे साथी, जो उस समय हेल्थ रिपोर्टर थे, अस्पताल से महिला की स्थिति के बारे में अपडेट लेने का प्रयास कर रहे थे।