K.W.N.S.-आदित्य नारायण चोपड़ा: अरुणाचल प्रदेश के तवांग सैक्टर में भारत और चीनी सेना के बीच झड़प के बाद एक तरफ भारतीय रक्षा अनुसंधान ने बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया तो दूसरी ओर तवांग में चीन सीमा के पास भारतीय वायुसेना के राफेल और सुखोई-30 एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों की गर्जना सुनाई दी। इस तरह भारत ने चीन को रणनीतिक संदेश दिया है। हालांकि एलएसी के पास भारतीय वायुसेना का युद्धाभ्यास एक रूटीन कमांड लेवल एक्सरसाइज है और इसकी योजना तवांग झड़प से पहले ही बना ली गई थी। लेकिन इस अभ्यास के जरिये चीन को संदेश दे दिया गया है कि भारत उसकी किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए तैयार है। इसी बीच यह खबर आई कि तवांग में भारत और चीन के सैनिक संघर्ष स्थल से दूर जा चुके हैं और वहां पर स्थिति सामान्य हो चुकी है। भारत कभी भी युद्ध समर्थक नहीं रहा लेकिन हमें हर स्थिति का मुकाबला करने के लिए हमेशा तैयार रहना होगा।
वायुसेना का अभ्यास अपनी युद्धक क्षमताओं का आंकलन करने के लिए किया गया है। भारत ने अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर एक आैर उपलब्धि हासिल कर ली है। एटमी ताकत वाली इस मिसाइल ने 5000 किलोमीटर दूर जाकर अपने टार्गेट को ध्वस्त किया है। अब पूरा एशिया, आधा यूरोप, रूस और यूक्रेन के साथ-साथ राजधानी बीजिंग सहित पूरा चीन अग्नि-5 की जद में आ गया है। मिसाइल बनाने में इस्तेमाल की गई नई तकनीकों और उपकरणों की जांच करने के उद्देश्य से ही यह परीक्षण किया गया है। यह मिसाइल डेढ़ टन तक परमाणु हथियार अपने साथ ले जा सकती है और जरूरत पड़ने पर इसकी मारक क्षमता 8000 किलोमीटर तक की जा सकती है।यहां तक भारतीय वायुसेना के युद्धाभ्यास का सवाल यह ऐसे समय में किया गया है जब चीनी सेना ने पूरे अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक िनयंत्रण रेखा पर विमानों, हैलीकाप्टरों और ड्रोन की तैनाती बढ़ा दी है। जून के मध्य से ही पूर्वी लद्दाख में चीनी एयरफोर्स की ओर से अवैध हवाई गतिविधियां जारी हैं और वह 10 किलोमीटर के नो फ्लाई जोन के समझौते का भी उल्लंघन कर देती है। इसी के चलते भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों को चीन की हवाई घुसपैठ नाकाम करने के लिए कई बार उड़ान भरनी पड़ी है। भारतीय वायुसेना के शौर्य का एक लम्बा इतिहास रहा है।इंडियन एयर फोर्स का ध्येय वाक्य है, 'नभः स्पृशं दीप्तम, यानी गर्व के साथ आकाश को छूना। नीला, आसमानी नीला और सफेद इसके रंग हैं। भारतीय वायुसेना का यह ध्येय वाक्य गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। कहते हैं िक जब महाभारत के युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए थे, यह आदर्श वाक्य उसका एक अहम हिस्सा था। युद्ध से पहले जब भगवान श्रीकृष्ण, अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाते हैं और तो उसे देखकर अर्जुन कुछ समय के लिए परेशान हो जाते हैं।
उनका वह रूप एक पल को अर्जुन के मन में भय पैदा कर देता है। जो आदर्श वाक्य आईएएफ ने अपनाया है वह इस श्लोक का हिस्सा है, 'नभःस्पृशं दीप्तमनेकवर्ण व्यात्ताननं दीप्तविशालनेत्रम्, दृष्टवा हि त्वां प्रव्यथितांन्तरात्मा धृति न विन्दामि शमं च विष्णो।' इसका अर्थ है, 'हे विष्णु, आकाश को स्पर्श करने वाले, देदीप्यमान, अनेक वर्णों से युक्त एवं फैलाए हुए मुख और प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त आपको देखकर भयभीत अन्तःकरण वाला मैं धीरज और शांति नहीं पाता हूं।'संपादकीय :पराक्रम और शौर्य का विजय दिवसपाई-पाई को मोहताज पाकिस्तानचीन को 'पहाड़ के नीचे' लाना होगा !हाईवे के नए युग में भारतनीतीश का विपक्षी एकता का प्रेमइस उम्र मे पति-पत्नी का निराला साथअरुणाचल में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों की आक्रामकता हमारे लिए गम्भीर चुनौती है। जो हरकत चीनी सेना ने ढाई साल पहले गलवान में की थी। अरुणाचल प्रदेश में उसे दोहराया गया है। हमारे सैनिकों ने पहले की तरह ही चीनियों को मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें पीछे हटने को मजबूर किया है। भारत हमेशा से यह कहता रहा है कि बल प्रयोग के द्वारा नियंत्रण रेखा को बदलने की किसी भी एक तरफा कोशिश को स्वीकार नहीं किया जाएगा। चीन की हरकतों से साफ पता चलता है कि वह अपनी विस्तारवादी नीतियों पर चल रहा है। चीन की सीमाएं 14-15 देशों से लगती है और भारत सहित कई देशों के साथ इसका सीमा विवाद है। कुछ वर्ष पहले उसने डोकलाम में भी घुसपैठ की थी और वहां भूटान के क्षेत्र में हस्तक्षेप की कोशिश की थी। साऊथ चाइना सी, ईस्ट चाइना सी और ताइवान को लेकर उसके रवैये पर चीन की नजर है। हिन्द महासागर में भी वह अपनी धौंस जमाना चाहता है। भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन के हमलावर रुख को रोकने के कई प्रयास किए हैं। लेकिन हमारे पास खुद को सैन्य स्तर पर मजबूत बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यद्यपि भारत को अब अमेरिका और मित्र देशों का समर्थन प्राप्त है लेकिन भारत को अपनी सैन्य शक्ति को चीन के बराबर बनाना ही होगा। बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण और वायुसेना की गर्जना का उद्देश्य केवल यही दिखाता है कि हम अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। शांति हो या युद्ध दोनों स्थितियों में हम देश की रक्षा के लिए तैयार हैं।