K.W.N.S.-देखा जाए तो इस नाटक में आम आदमी पार्टी का सत्ता के प्रति लालच सामने आया है कि अगर दांव लगे तो किसी भी राजनीतिक दल के नेता किसी अन्य को तोड़ने में पीछे नहीं रहेगी। इन चुनावों में कांग्रेस के नौ निगम पार्षद जीते थे, जिसमें से सात मुसलिम समाज के थे। आम आदमी पार्टी ने पार्टी उपाध्यक्ष के साथ ही दो मुसलिम निगम पार्षद को अपने पाले में कर लिया था। क्षेत्र की जनता ने इनके खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और उसका तेवर इतना जबरदस्त था कि कुछ ही घंटे के बाद ही दोनों निगम पार्षदों और नेता को माफी मांगते हुए वापस कांग्रेस में शामिल होकर जनता के गुस्से को शांत करना पड़ा।
यह एक ऐसी घटना है जिसको सभी राजनीतिक दलों को गंभीरता से लेना चाहिए कि धोखेबाज जनप्रतिनिधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। स्थानीय चुनाव में दल बदल कानून लागू नहीं होता है, इसलिए विधानसभा और लोकसभा में कोई नियम कायदे कानून बनाने चाहिए। आखिर इस तरह से तो लोकतंत्र का कोई अर्थ नहीं रह जाता है, जिस पर सभी को चिंता करने की जरूर आवश्यकता है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में परचम लहराया, तो इसका मुख्य कारण नई पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन बहाली का वादा रहा। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी उक्त पेंशन को लागू करने में कितनी सफल होती है या फिर कर्मचारियों को केवल झूठा आश्वासन दिया गया है। हालांकि जीत के बाद यह आश्वासन पूरा करने की बात कही गई है।
गौरतलब है कि पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा आगामी लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिलेगा। केंद्र सरकार को इस मुद्दे को हल्के में नहीं लेना चाहिए। समय रहते इस मुद्दे का हल निकालना चाहिए, क्योंकि सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद नई पेंशन योजना के तहत चिकित्सा क्षतिपूर्ति बिल का भुगतान भी नहीं मिलता और कम पेंशन मिलती है। इस योजना का फिर अवलोकन करने की जरूरत है। इस मुद्दे पर जनता कितनी गंभीर है, इसे ऐसे समझा सकता है कि अब यह चुनावी मुद्दा बनने लगा है।