
देश में 10 दिनों तक चलने वाला गणेशोत्सव जल्द ही शुरू होने वाला है और इसको लेकर तैयारियां भी शुरू हो चुकी है। यदि आप भी भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना कर रहे हैं तो ध्यान रहें कि गणपति जी को पूजा के दौरान दूर्वा घास चढ़ाना न भूले। आज हम आपको यहां बताएंगे कि आखिर भगवान गणेश को दूर्वा घास क्यों पसंद है और इसका धार्मिक महत्व क्या और इसे गणेश पर चढ़ाने का नियम क्या है -
दूर्वा घास चढ़ाने से जल्द प्रसन्न होते है गणेशजी
गणेश चतुर्थी पर गणपति को स्थापित करने के बाद विधिवत उनकी पूजा करना चाहिए और उन्हें सबसे प्रिय दूर्वा घास जरूर चढ़ाना चाहिए। दूर्वा चढ़ाने से भगवान गणेश जल्दी प्रसन्न होते हैं। दूर्वा घास को दूब, अमृता, अनंता, महौषधि भी कहा जाता है।
साफ जगह पर उगाना चाहिए दूर्वा घास
भगवान गणेश को चढ़ाई जाने वाली दूर्वा घास साफ स्थान पर उगानी चाहिए। दूब को मंदिर, बगीचे से तोड़ें क्योंकि इन स्थानों पर सफाई ज्यादा रहती है। स्वच्छ जल से धोने के बाद दूर्वा को गणेश जी को अर्पित करना चाहिए।
दूर्वा घास चढ़ाते समय इस मंत्र का करें जाप
दूर्वा घास चढ़ाने से पहले 11 या 21 दूर्वा का जोड़ा बनाकर गणेश चतुर्थी पर बप्पा को अर्पित करना चाहिए। दूर्वा चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें -
ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँ एकदन्ताय नमः
गणेश जी को इसलिए चढ़ाई जाती है दूर्वा
पौराणिक मान्यता है कि एक बार अनलासुर असुर के भय के कारण सभी परेशान थे और उससे बचने के लिए भी देवता भगवान गणेश जी की शरण में पहुंच गए थे। तब दानव अनलासुर और गणेश जी में भयावह युद्ध हुआ था। युद्ध के दौरान गणेश जी ने दैत्य को निगल लिया था और इस कारण से गणेश जी को पेट में तेज जलन होने लगी थी। तब पेट की असहनीय जलन को मिटाने के लिए गणेश जी को दूर्वा घास की 21 गांठ खिलाई गई थी और उनकी पेट की जलन शांत हुई हुई। धार्मिक मान्यता है कि तभी से गणेश जी को दूर्वा घास चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने का फायदा
साधक यदि गणेश जी को पूजा के दौरान दूर्वा घास चढ़ाता है तो कुबेर के समान धन की प्राप्ति होती है। दूर्वा चढ़ाने से भगवान गणेश जल्द प्रसन्न होते हैं और सभी कष्टों और विघ्न-बाधाओं को दूर करते हैं।