जानिए तिथि, महत्व और पूजन विधि
इस साल अपरा एकादशी 26 मई को मनाई जाएगी। अचला एकादशी ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाई जाती है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी प्रसन्न होते है। वह भक्तों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। अपरा एकादशी के दिन तुलसी, चंदन, कपूर और गंगाजल ने देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से मनुष्य को मृत्यु के बाद मौक्ष की प्राप्ती होती है। इस बार अचला एकादशी के दिन रात्रि 10 बजकर 14 मिनट तक आयुष्मान योग रहेगा। इस योग को बेहद शुभ माना गया है।
अपरा एकादशी का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार अपरा एकादशी के व्रत से ब्रह्मा हत्या, भूत योनि और अन्य पाप दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि एकादशी व्रत का पालन करने से जातकों को पापों से छुटकारा मिलता है। जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। कार्तिक माह में पवित्र नदी में स्नान करने से अचला एकादशी व्रत समान लाभ मिलता है।
अपरा एकादशी व्रत की पूजन विधि
1. अपरा एकादशी के दिन गंगा नदी में स्नान करें। अगर ऐसा संभव नहीं है तो घर पर ही बाल्टी में गंगा जल की कुछ बूंदें मिलाकर नहाले।
2. नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें।
3. अब भगवान के सामने घी या तेल का दीपक जलाएं।
4. भगवान विष्णु का आह्वान करें। उनके प्रार्थना करें और पूजा शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लें।
5. भगवान श्रीहरि को जल, पुष्प, इत्र, दीपक, धूप और नैवेध अर्पित करते हुए ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें।
6. अब चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, पान, सुपारी, 5 प्रकार के फल चढ़ाएं।
7. अपरा एकादशी व्रत कथा या विष्णु सहस्ननाम का पाठ करें।
8. शाम को तेल का दीपक, अगरबत्ती जलाएं और भगवान से प्रार्थना करें।
9. भगवान विष्णु के नाम पर आरती कर पूजा का समापन करें।
26 मई को अपरा एकादशी- इस करने से प्रसन्न होते हैं लक्ष्मी-नारायण
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